और शिमला भाजपा का

(शगुन हंस, योल )

31 साल का वनवास कम नहीं होता। भाजपा ने कई साल प्रदेश पर राज किया, पर शिमला को 31 साल बाद भाजपा रास आई। शिमला प्रदेश की  राजधानी है, बेशक वह स्मार्ट सिटी नहीं बन पाई, पर इस का वजूद सबसे जुदा जरूर है। अंग्रेजों ने इसे हिल्स क्वीन का नाम यूं ही नहीं दे दिया। अंग्रेज यूं ही शिमला के दीवाने नहीं हो गए। अब शिमला की खूबसूरती पर कंकरीट का कब्जा है। यहां पर राजनीति करवटें लेती है  और सब कुछ बदल जाता है। जरा शिमला को गौर से देखो,जिसे अंग्रेजों ने 20 हजार लोगों के लिए बनाया आज लाखों लोगों का लबादा ओढ़े है। शिमला अब एक झुरमुट से ज्यादा कुछ भी नहीं लगता। कुदरत तो आज  भी अपने उसी रूप में है, पर इनसानों ने उसे बदरंग जरूर कर दिया। अंग्रेजों के जमाने की सीवरेज और रेल को हम आगे नहीं बढ़ा पाए क्योंकि भाजपा और कांग्रेस ही एक दूसरे से आगे बढ़ती रही। अब शिमला भाजपा का है देखें अब क्या होता है। हमें अंग्रेजों वाला शिमला भी नहीं चाहिए। हमें प्रकृति में बसा शिमला चाहिए। स्वच्छ शिमला चाहिए। जो वातावरण से भी स्वच्छ हो और भ्रष्टाचार से भी मुक्त।

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