खतरनाक है खेत-खलिहान के प्रति बेरुखी

हरि मित्र भागी

लेखक, सकोह, धर्मशाला से हैं

किसान के चेहरे पर खुशी व लाली लानी होगी, तभी देश खुशहाल होगा। यह तो विडंबना है कि मृत किसान के परिवार को मध्य प्रदेश सरकार एक करोड़ रुपए व नौकरी दे रही है तो बेहतर है, जीते जी उसकी समस्या का समाधान किया जाए। पंजाब में एक गाना है जिसका अर्थ है कि जीते जी कांटे बोना व मरने पर फूल चढ़ाना…

भारत के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने लालकिले पर दिए गए एक भाषण में कहा था कि ‘बाकी लोग तो हड़ताल करके अपनी मांगें सरकार के आगे रखकर मनवा लेते हैं, जब किसान हड़ताल करेगा तो क्या दशा होगी?’ जीवन की गाड़ी किस प्रकार रुकेगी। इसकी जरा कल्पना कीजिए। देश के उद्योग, कपड़ा उद्योग, औषधि उद्योग, दुग्ध उत्पादन, पशुओं का चारा,  मनियारी, चाय की दुकान, फल व सब्जी की दुकान, बड़े-बड़े होटल, इस अन्नदाता की देन है। इसका ऋण कौन चुका सकता है। कठोपनिषद् में यम ने नाचिकेता को भी यही कहा कि अन्न ही ब्रह्म है। कहावत है भूखे भजन न हो गोपाला। स्वामी विवेकानंद ने भी यही कहा, भूखे को पहले भोजन या फिर धर्म का उपदेश दो। किसान सबसे बड़ा तपस्वी है, तमाम प्रतिकूलताओं के बीच कृषि कर्म करता है। अब जब वह आंदोलन कर अपनी आवाज बुलंद करने लगा तो उसे गोलियां खाकर अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ रही है। मध्य प्रदेश में जब आंदोलन उग्र हुआ तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शांति के आलीशान मंच पर उपवास पर बैठ गए, परंतु ऋण माफी की घोषणा नहीं हुई। महाराष्ट्र ने फिर भी छोटे किसानों के ऋण माफ कर दिए। सभी सरकारों को किसानों की समस्याओं के प्रति गंभीर होना होगा। ‘खिला है फूल क्रांति का चमन में तोड़ मत माली’ इसलिए इनके आंदोलन का दमन करने की बजाय इनकी ठिनाइयां दूर करनी होंगी। चुनाव के समय इस किसान शब्द को ढाल बनाया जाता है। माननीय प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में ऋण माफी की घोषणा की थी। चौधरी चरण सिंह व ताऊ चौधरी देवी लाल इसी पर राजनीति कर गए। श्री महेंद्र सिंह टकैत व शरद जोशी अपनी पहचान बना गए। कई विधायक, सांसद, मंत्री व मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री किसान पुत्र बने। इनके होते हुए सरकार तक इनकी समस्याओं की गूंज पहुंची हुई होनी चाहिए थी। सीपीएम पार्टी का निशाना भी किसान से संबंधित है। कांग्रेस का भी दो बैलों की जोड़ी व गाय, बछड़ा इसी पर आधारित रहा। प्रधानमंत्री महोदय ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में कहा था कि किसानों के कर्ज माफ होंगे।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य अपने साधनों से माफ करें। केंद्र की कोई सहायता नहीं होगी। माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए सरकार के खर्चे कम करने के संकेत दिए तो पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह ने अपनी सुरक्षा में आधी कटौती को वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने सुरक्षा बिलकुल नहीं ली व ऐसा भी प्रस्ताव है कि बड़े-बड़े व्यवसायी व प्रभावशाली व्यक्ति अपने खर्चे पर सुरक्षा मांगते हैं, उसकी भी वृद्धि की जा रही है। केंद्र सरकार भी अपने खर्चे कम करे। केवल लाल बत्ती हटाने से कुछ नहीं होगा। वीआईपी कल्चर बिलकुल समाप्त होना चाहए। खर्चा बहुत बचेगा। कृषि कल्याण टैक्स तो पहले ही लगा दिया है फिर किसान कष्ट में क्यों रहे। किसान को खाद व पानी तथा बीज बिजली की सुविधा उसके खेत तक पहुंचे। इससे संबंधित ट्रैक्टर व अन्य साधन भी मौके पर उपस्थित हों। फसल तैयार होने पर मौके पर उसकी लागत कीमत आंकी जाए व उसकी लागत से अधिक उसे कीमत दी जाए। किसान को उस योग्य बनाया जाए कि उसे भविष्य में कर्ज लेने की नौबत न आए। दूध एकत्रित करने के केंद्र बनाए जाएं डेयरी के कार्य के लिए अनुदान दिया जाए। गांव में किसान भवन बनाए जाएं। उनके स्वास्थ्य के स्वास्थ्य केंद्र खोले जाएं। पशु चिकित्सालय खोले जाएं। बच्चों के लिए स्कूल खोले जाएं। बेटी की शादी के लिए अनुदान दिया जाए। उनके घरों के लिए अनुदान। गांव में ऐसे कर्मचारी नियुक्त हों, जिन्हें प्रत्येक किसान की स्थिति का पता हो व वे सरकार तक उसकी समस्या पहुंचा सकें, ताकि उसकी समस्या का समय पर समाधान किया जाए। उनके भूमि संबंधी विवाद के लिए विशेष ट्रिब्यूनल बनाए जाएं। छोटे-मोटे विवाद के लिए न्याय पंचायतों का गठन किया जाए।

भूमि कटाव, बांध व सिंचाई के लिए टैंक बनाए जाएं। स्वामीनाथन आयोज की रिपोर्ट लागू की जाए। किसान की फसलों के बीमे की योजना बनाई जाए। कीटनाशक दवाइयों का प्रबंध मौके पर किया जाए। गांव में कृषि कैंप लगाए जाएं। जंगली जानवरों से रक्षा का प्रबंध किया जाए। गांव, खंड व जिला स्तर की समितियां हों, जिसमें किसानों के प्रतिनिधि हों, जो किसानों की समस्याओं को राज्य स्तर तक उजागर कर सकें व उनका हल किया जा सके। गांव की खुशियां हरे-भरे लहलहाते खेत,  खेतों के बीच, छाछ मक्खन, साग सब्जी के साथ खाना खाते किसान, शाम के समय चौपाल में दुख-सुख करते बातें करने वाला किसानी माहौल बना रहे, इसकी कोशिश करनी चाहिए। इसका पता तब चलता है, जब पंजाब जैसा हरियाली वाला प्रदेश कितने लोग विदेशों को चले गए। गांवों में कितनी उदासी छाई है। किसान, जिसने हरित व श्वेत क्रांति लाई व अमरीका के पीएल 480 की लाल गेहूं से हमें मुक्ति दिलाई को संतुष्ट, करना होगा। उसके चेहरे पर खुशी व लाली लानी होगी, तभी देश खुशहाल होगा। यह तो विडंबना है कि मृत किसान के परिवार को मध्य प्रदेश सरकार एक करोड़ रुपए व नौकरी दे रही है तो बेहतर है, जीते जी उसकी समस्या का समाधान किया जाए। पंजाब में एक गाना है जिसका अर्थ है कि जीते जी कांटे बोना व मरने पर फूल चढ़ाना। इसलिए जीते जी इसकी समस्या का समाधान होना चाहिए।

भारत मैट्रीमोनी पर अपना सही संगी चुनें – निःशुल्क रजिस्टर करें !