वैचारिक लेख

शिष्यों और गुरुओं के बीच संबंध बहुत मूल्यवान थे, परंतु आज शिक्षा ग्रहण करने का स्वरूप बदलता हुआ दिखाई देता है। अधिकतर बच्चे स्कूलों में अपने मनोरंजनात्मक कार्यों के लिए पाठशाला में समय बिताने आते हैं।

हो सकता है कि आप मुझसे पूछें कि रीढ़, पायदान और पदोन्नति का आपस में क्या सम्बन्ध है। तो साधो! सदी के लिजलिजे महानट के पिता डॉ. हरिवंश राय बच्चन ने अपनी कविता ‘मैं हूँ उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते

हम उम्मीद करें कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद देश वैश्विक आर्थिक संगठनों की रिपोर्टों के मुताबिक वर्ष 2027 में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

यह देश के स्वायत्त संस्थानों के असंवेदनशील व्यवहार के प्रति देश की सर्वोच्च अदालत का असाधारण आदेश है। सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश लोकतांत्रिक व्यवस्था के अधीनस्थ संस्थाओं की निरंकुशता व असंवैधानिक कृत्यों पर रोक लगाने में कारगर साबित होगा...

शहर के जादूगर उस दिन मंच पर थे और जनता बेसब्री से कुछ ऐसा देखना चाहती थी, जो उसके जीवन में संभव नहीं। दरअसल जादूगरों ने तय कर रखा था कि अब देश को जादू का विश्व गुरु बनाएंगे। जनता को देश की खातिर हर जादू और हर जादूगर मंजूर है, इसलिए इस तरह के शो कहीं भी हिट हो रहे हैं, बल्कि जहां कुछ भी संभव नहीं वहां भी जादू का शो कामयाब हो रहा है। सृष्टि में जादू पहले आया या ईश्वर पर भरोसा, इस बहस मेें कई धर्म निकल आए, लेकिन हर किसी को जादू पर यकीन रहा। जा

सीबीआई की तरह एसबीआई की चुनावी फंड के मामले में हुई किरकिरी से साबित हो गया है कि पिंजरे का तोता सिर्फ एक ही विभाग नहीं है। सरकारी विभाग सत्तारूढ़ दलों की कठपुतलियों की तरह काम करते हैं। सत्ता बदलते ही दूसरे दलों की भाषा बोलने लगते

तुलसी ने राम को किसी एक धर्म का बना कर स्थापित करने का प्रयास नहीं किया। उन्होंने तो राम के व्यक्तित्व से समग्र संसार के जनमानस को पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन को व्यवस्थित रूप से संचालित करने का आधार बनाकर प्रेरणा लेने का संदेश दिया। सगुण भक्ति का सूत्रधार राम काव्य ही है...

देखिए जनाब! मुझ पर आप लाख तरह के आरोप लगा सकते हैं, लेकिन यह आरोप बिल्कुल नहीं लगा सकते कि मैं कुछ कर्ता-धर्ता नहीं हूं और निठल्ला बैठा सरकार की सब्सिडी खाता रहता हूं। ऐसा आरोप मैं बिल्कुल नहीं सुन सकता। पचास-साठ लोग एक साथ मिलकर कहें तो भी नहीं सुन सकता। पहली बात तो यह है कि मेरे सारे खाते सील हैं। उनमें सब्सिडी आ ही नहीं सकती। दूसरा, मेरे पास सब्सिडी खाने की फुर्सत ही नहीं है। मैं दिन-रात व्यस्त ही बहुत रहता हूं और ऊपर से आप यह तोहमत लगा रहे हैं कि मैं निठल्ले

यदि कांग्रेस इन छह पूर्व विधायकों को फिर से स्वीकार लेती है, तो क्या होगा। राजनीति संभावनाओं का खेल है। अब कांग्रेस इनको पार्टी में तो वापस ले सकती है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष अब इनको दोबारा विधानसभा का सदस्य नहीं बना सकेंगे। अब लोकसभा के चुनाव परिणामों का इंतजार है...