वैचारिक लेख

शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में पर्यावरण से जुड़े विषय शामिल किए जाएं। ठोस और तरल अपशिष्ट के निपटान के लिए प्रभावी नीति बनाई जाए। शहरों में कचरा प्रबंधन को पर्यावरण प्रकोष्ठ बनाया जाए...

वेतन हर महीने बुद्धिजीवी से लड़ता आया है। इसकी वजह से घर की कलह कभी बीवी से सुलह नहीं होने देती। दरअसल बुद्धिजीवी का वेतन बिगड़े मूड में रहता है। वह पैदाइशी झगड़ालू है। न उसे खुद पर भरोसा और न ही कभी इतनी हिम्मत कर सका कि कहीं चौराहे पर खड़ा होकर बता सके कि बुद्धिजीवी के साथ जीना ‘वेतन’ के लिए कितना महंगा है। दरअसल वेतन अब बुद्धिजीवी हो ग

इन अपराधों में सिर्फ रेप ही नहीं, बल्कि छेड़छाड़, दहेज हत्या, किडनैपिंग, ट्रैफिकिंग, एसिड अटैक जैसे अपराध भी शामिल हैं। आंकड़े बताते हैं कि 2012 से पहले हर साल रेप के औसतन 25 हजार मामले दर्ज किए जाते थे।

जनता की मानसिकता सरकार को कुछ देने की नहीं, बल्कि सरकार से किसी न किसी जरिए से कुछ हासिल करने की बन चुकी है। जनता की इस मानसिकता को एकदम से बदलना कदापि संभव नहीं है और जब तक इस मानसिकता में बदलाव नहीं होता, तब तक इस आर्थिक संकट से मुक्ति संभव नहीं है। इस समय हिमाचल प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद और ऋण का अनुपात 40 प्रतिशत के लगभग है।

सरकार के कदमों पर सबकी नजर रहती है। पब्लिक की नजर भी रहती है और विपक्ष की नजर भी रहती है। सत्ता में जो लोग हाशिये पर बैठे होते हैं, उनकी तो सबसे ज्यादा तेज नजर अपनी ही सरकार के कदमों पर रहती है।

टोक्यो ओलंपिक में निषाद ने भारत के लिए टी-47 स्पर्धा में रजत पदक जीत कर हिमाचल से पहला पैरा ओलंपिक पदक विजेता बन गया। डीएवी चंडीगढ़ व जालंधर की लवली यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई करने वाले इस हाई जंपर ने 2023 पेरिस व 2024 कोवे में आयोजित पैरा एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप में देश के लिए पदक जीते हैं। 2022 एशिया पैरा खेल, जो चीन के शहर हांगजों में हुए थे, उसमें भी टी-47 स्पर्धा में 2.06 मीटर ऊंचा कूद कर देश के लिए रजत पदक जीता है। निषाद कुमार का एथलेटिक्स सफर हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत है...

अमेरिका चीन और भारत दोनों पर नजर रखना चाहता है। चीन भी आर्थिक क्षेत्र में अमेरिका को टक्कर देने की दिशा में बढऩे का प्रयास कर रहा है। लेकिन भारत का मामला उससे भी पेचीदा है। यह ठीक है...

मैं समर्थन की समस्या से विगत एक दशक से परेशान हूं। कहलाने को घर का मुखिया हूं, कमाता हूं, सबको खिलाता-पिलाता हूं, लेकिन तीनों बच्चों के समर्थन से सरकार घर में पत्नी की ही चल रही है। मैं सदैव अल्पमत में ही बना रहा...

हर किसी के जीवन में एक गुरु या शिक्षक का होना बेहद आवश्यक है। इसलिए हम सभी को सदा शिक्षकों का मान-सम्मान करना चाहिए और उनकी बातों पर अमल करना चाहिए। हमारी बाल्यावस्था से लेकर महाविद्यालयीन शिक्षा के दरमियान अनेकों शिक्षक हमारा मार्गदर्शन करते हैं और विभिन्न तकनीकों से हमें भावी जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करते हैं...