शिमला – आईपीएच विभाग द्वारा तैयार किया गया ग्रीन क्लाइमेट फंड 1200 करोड़ रुपए का होगा। इसका अनुमानित बजट तय कर दिया गया है, जिसके लिए नाबार्ड से आईपीएच ने सहायता मांगी है। विभाग के अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट पर नाबार्ड से व्यापक चर्चा करने के बाद जल्द ही इसे फाइनल मंजूरी के लिए भेजने की तैयारी कर ली है। सूत्रों के अनुसार 1200 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में न केवल प्राकृतिक जल संसाधनों को रिवाइव करने की योजना है, बल्कि सेब बैल्ट के बदलाव में शोध, भूमि कटाव, सिंचाई सुविधाओं के अलावा फसल विविधिकरण की योजनाएं भी शामिल हैं। प्रोजेक्ट को लेकर नाबार्ड ने कुछ आपत्तियां जाहिर की थीं, जिन पर उनके विशेषज्ञों के साथ बातचीत की जा रही है। नाबार्ड इस प्रोजेक्ट को अपनी मंजूरी प्रदान करता है तो इसके तहत 50 फीसदी राशि ग्रांट के रूप में हिमाचल को मिलेगी, वहीं 50 फीसदी धनराशि लोन के रूप में आईपीएच विभाग को मिलेगी। अपनी तरह से यह पहला ऐसा प्रोजेक्ट होगा, जिससे कई क्षेत्रों में एक साथ काम किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में प्राकृतिक जल संसाधनों में पानी की कमी देखी जा रही है। जो बावडि़यां व खड्डें पहले पानी से भरी रहती थीं, वे आज खाली हो चुकी हैं। बरसात में जो चश्मे नजर आते थे, वे अब नजर नहीं आ रहे, ऐसे में उन सभी को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। इस पर यहां एक व्यापक सर्वेक्षण आईपीएच विभाग अपने स्तर पर कर रहा है। सूत्रों के अनुसार ग्रीन क्लाइमेट प्रोजेक्ट में 800 करोड़ रुपए सीधे तौर पर प्राकृतिक जल स्रोतों को रिवाइव करने पर खर्च किए जाएंगे। इस राशि से प्रदेश भर में जरूरी स्थानों पर चैक डैम स्थापित किए जाएंगे। चैक डैम बनाए जाने से वर्षा जल का संरक्षण किया जा सकेगा और बारिश का यही पानी फसल विविधिकरण में भी काम आएगा। यही नहीं, प्रदेश में कृषि विकास संघ भी गठित किए जाएंगे और इनको 30 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की जाएगी।
किया जाएगा सोशल ऑडिट
ग्रीन क्लाइमेट प्रोजेक्ट के तहत राज्य में सोशल ऑडिट भी अलग से करवाया जाएगा। इसमें पता चलेगा कि प्रोजेक्ट के लागू होने के बाद यहां पर कितना बदलाव आया है और कितना लाभ इससे मिल रहा है। भूमि कटाव को रोकने के लिए भी इसमें अलग से काम किया जाएगा।
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