जल संरक्षण को लेकर सजग हों समाज-प्रशासन

( स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा )

बरसात की शुरुआत के साथ ही एक बार फिर से समाज के पास वर्षा जल संग्रहण की संभावनाएं दिखने लगी हैं। इन दिनों में यदि थोड़ा सा विवेक दिखाते हुए समाज व्यर्थ बह जाने वाले जल के संग्रहण के लिए तत्परता दिखाता है, तो निश्चित तौर पर बरसात के बाद भी विभिन्न जरूरतों को इस जल से पूरा किया जा सकता है। इसके लिए किसी बहुत बड़े त्याग की भी जरूरत नहीं है। हर परिवार अपने घर के आसपास एक तालाब अथवा टैंक का निर्माण करवा सकता है। बारिश के दौरान घर की छतों पर जमा होने वाला पानी व्यर्थ बह जाता है, उसे यदि एक उचित व्यवस्था के जरिए इन टैंकों में एकत्रित कर लिया जाए, तो बरसात के बाद जरूरत के समय इस पानी का सदुपयोग किया जा सकता है। और तो और, इन टैंकों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की तरफ से भी विभिन्न योजनाओं के तहत आर्थिक अनुदान दिया जा रहा है। हमें थोड़ी सी हिम्मत करके स्थानीय शासन-प्रशासन की मदद से इन टैंकों का निर्माण करवा लेना चाहिए। इस छोटे से प्रयास के भी भविष्य में सार्थक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। गांवों में इस तरह से बारिश के पानी को संग्रहित करके बरसात के बाद भी सब्जियों के उत्पादन में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे जहां जल के सदुपयोग की भावना मजबूत होगी, वहीं सब्जियों, अनाज आदि की जरूरतों को भी पूरा किया जा सकेगा। इस तरह एक प्रयास से दोहरे लाभ को अर्जित किया जा सकता है। ऐसे में वर्षा जल संग्रहण की दिशा में शासन-प्रशासन व समाज को विचार करते हुए अपने स्तर पर गंभीरता के साथ प्रयास करने होंगे।

 

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