जीएसटी…प्रोफिट कम, टेंशन ज्यादा

पहली जुलाई से देश भर में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने जा रही केंद्र सरकार बेशक इसके लिए तैयार हो, लेकिन व्यापारी वर्ग इसके लिए बिलकुल तैयार नजर नहीं आ रहा है। मजेदार बात यह है कि जीएसटी को लेकर फैली भ्रांतियों को लेकर अगर व्यापारी संबंधित महकमे से पूछताछ कर भी रहे हैं तो उन्हें विभागीय अधिकारी भी संतुष्ट करते नजर नहीं आ रहे हैं। दरअसल अभी तक व्यापारियों को जीएसटी नंबर तक नहीं मिल पाए हैं। ऐसे में व्यापारी इस बात को लेकर उधेड़बुन में हैं कि पहली जुलाई से बिना जीएसटी नंबर ट्रेडिंग कैसे करेंगे।  ‘दिव्य हिमाचल’ ने जब जीएसटी पर विभिन्न व्यापारियों की राय जानी तो उनके दिल की उलझनें यूं बाहर निकलीं…

जीएसटी को लेकर कन्फ्यूज

बिलासपुर में डेली नीड्ज की दुकान करने वाले शान अली का कहना है कि वह जीएसटी का पूरी तरह से विरोध करते हैं। जीएसटी लागू होने से दुकानदारों को लाभ कम तथा परेशानियां अधिक होंगी। जीएसटी को लेकर कन्फ्यूज है।

लाभ कम, नुकसान ज्यादा

दवाइयों की दुकान करने वाले घुमारवीं के संजीव शामा ने कहा कि सरकार को जीएसटी आनन-फानन में लागू किया जा रहा है। इसमें कपड़े, अनाज, कृषि उत्पादों व जीवन वस्तुओं को इससे बाहर रखना चाहिए था। इसकी खामियों से व्यापारी वर्ग को लाभ कम हानि ज्यादा होगी।

जीएसटी सही, सरलीकरण जरूरी

घुमारवीं में रेडिमेड कपड़े की दुकान करने वाले राज्य व्यापार मंडल के सदस्य कुंदन रतन का मानना है कि जीएसटी सही है, पर इसका सरलीकरण होना चाहिए। जीएसटी लागू होने से देश भर में एक टैक्स लगने से व्यापारियों सहित लोगों को लाभ मिलेगा।

खामियां पड़ेंगी भारी

जिला व्यापार मंडल के प्रधान प्रकाश पजियाला का कहना है कि जीएसटी लागू होने व टैक्स जमा करवाने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन, जीएसटी में खामियां होने के कारण दुकानदारों में रोष है। एक महीने में तीन-तीन बार रिटर्न भरने से व्यापारी वर्ग परेशान होगा।

सजा का प्रावधान गलत

बिलासपुर व्यापार मंडल के संगठन मंत्री सुरेंद्र गुप्ता का कहना है कि जीएसटी केंद्र सरकार का आनन-फानन में लिया गया निर्णय है। जीएसटी में कोताही पर व्यापारी को सजा का प्रावधान गलत है। जीएसटी का व्यापारी वर्ग पूरी तरह से विरोध करते हैं।

लागू करने से पहले दें जानकारी

मोबाइल की दुकान करने वाले घुमारवीं के सुरजीत पटियाल का कहना है कि जीएसटी अभी तक समझ से परे है। जीएसटी में कन्फ्यूजन बहुत ज्यादा है। इसका पूरी तरह से कान्सेप्ट समझ नहीं आ रहा है। जीएसटी लागू करने से पहले दुकानदारों को जीएसटी के बारे पूरी जानकारी देनी चाहिए थी।

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