दि न्यू ईरा स्कूल छतड़ी, शाहपुर

सुषमा गुलेरिया प्रिंसीपल

कहते हैं हीरे की असली पहचान जौहरी को ही होती है और यदि परखने वाले को सही तजुर्बा हो तो हीरे ढूंढना और भी आसान हो जाता है। ऐसे ही जौहरी का काम कर रहे हैं दि न्यू ईरा स्कूल छतड़ी (शाहपुर) के शिक्षक। और परिश्रम की भट्ठी में तपाकर हीरे तराशने का यह काम शिक्षक बखूबी कर रहे हैं। जिला कांगड़ा के शाहपुर उपमंडल से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित दि न्यू ईरा स्कूल छतड़ी अपने क्षेत्र ही नहीं, बल्कि मेहनत के दम पर पूरे प्रदेश में अपनी पहचान बनाए हुए है। विद्यालय की स्थापना स्वर्गीय रवि चंद कटोच, जो स्कूल के उस समय अध्यक्ष भी थे, के कर कमलों से हुई थी। स्कूल को 2012 में वरिष्ठ उच्च विद्यालय का दर्जा दिया गया। मौजूदा समय में स्कूल में 40 कमरे हैं व लगभग 40 के करीब शिक्षकों का स्टाफ है। क्षेत्र व पूरे प्रदेश में अपनी पहचान बना चुके इस स्कूल में बच्चों की हर जरूरत का ख्याल रखा जाता है। स्कूल में कम्प्यूटर लैब, आईटीसी स्मार्ट क्लासरूम, पुस्तकालय व स्कूल के प्रांगण में मंदिर की स्थापना की गई है। स्कूल में 700 के करीब छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा साइंस भवन खेल मैदान आदि व सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। प्रदेश स्तर पर अपनी प्रतिभा का डंका स्कूल पिछले साल से ही बजा रहा है। वर्ष 2015-16 में भी स्कूल के दो बच्चे टॉप टेन में आए थे और वर्ष 2016-17 में दसवीं की छात्रा तीसरे व जमा दो की अरुंधति टोच पूरे प्रदेश में नौवें स्थान पर रही। स्कूल की लाइब्रेरी में बच्चों के लिए ‘दिव्य हिमाचल’ सहित अन्य समाचारपत्र पढ़ने के लिए उपलब्ध रहते हैं। स्कूल को चार सदनों में बांटा गया है व पढ़ाई के साथ-साथ नैतिक शिक्षा का पाठ भी पढ़ाया जाता है, ताकि बच्चे स्कूल से निकल कर अच्छे संस्कार सीखें व सामाजिक क्षेत्र में भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। वहीं दसवीं की टॉपर शलिनी का मकसद बड़े होकर केमिस्ट्री की प्रोफेसर बनना है व जमा दो की टॉपर अरुंधति कटोच आईएएस की तैयारी कर रही है। विद्यालय में बच्चों को ही नहीं, बल्कि शिक्षकों को भी अपनी-अपनी क्लास में अच्छा परिणाम देने की जवाबदेही होती है। स्कूल की प्रिंसीपल सुषमा गुलेरिया बताती हैं कि विद्यालय का अच्छा रिजल्ट आए, इसके लिए स्कूल में साप्ताहिक टेस्ट लिए जाते हैं और उसी आधार पर हर मासिक पेरेंट्स मीटिंग में बच्चों की रिपोर्ट पेश की जाती है व पढ़ाई में कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

सुभाष कौरू, रैत

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