(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिम्बलहार, पालमपुर)
आइए जिंदगी के मजे लीजिए,
कुछ हवा लीजिए कुछ पी लीजिए।
जिदंगी चार दिन की है, मस्ती करें,
विष खा लीजिए, विष पी लीजिए।
गलता है कलेजा तो गलता रहे,
पलता है जो विषधर तो पलता रहे।
नशे के मजे कुछ तो ले लीजिए,
कुछ जी लीजिए, कुछ तो मर लीजिए।
कूटता है कोई, रुठता है कोई,
टूटता है जो घर छूटता है कोई।
लूटना भी, लुटाना भी, जी लीजिए,
कुछ खा लीजिए, कुछ पी लीजिए।
ये सिगरेट के टोटे, परिंदे हैं छोटे,
जली चोंच विष से, गले पंख विष से,
अब नाले में ही रेंगने दीजिए,
कुछ खा लीजिए, कुछ पी लीजिए।
मस्ती में मदमस्त पड़ गए,
प्यार प्यार में पस्त पड़ गए।
छूटती है पढ़ाई छूटने दीजिए,
विष खा लीजिए विषा पी लीजिए।
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