मारो पाक परस्त नेताओं को…?

रमजान का पाक महीना था, जुम्मे की नमाज पर श्रीनगर में जामा मस्जिद के भीतर और बाहर का  का दृश्य था। जिन लोगों ने डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित को बेहद बेदर्दी से मारा-पीटा, कपड़े फाड़ डाले, पत्थर मारे, काफी दूर तक घसीटा और मस्जिद की बगल वाली गली में ही लाश को  फेंक दिया। क्या वे वाकई मुसलमान थे? यह तो इंतहा है। कश्मीरी कश्मीरी को मार रहा है, खा रहा है। मुसलमान मुसलमान का कत्ल कर रहा है। कहां हैं गिलानी और मीरवाइज सरीखे नेता? यह कश्मीर है या कोई कत्लगाह…? यह अयूब का नहीं, कश्मीर का कत्ल है। इन गद्दारों को फांसी पर चढ़ाओ। मेरे देश के लोगो मुझे माफ करना। मेरी रूह कांप रही है, रौंगटे खड़े हैं, गुस्सा और क्षोभ भी है, लेकिन घोर निराशा भी कि आखिर कश्मीर के इन गद्दारों का खात्मा क्यों नहीं किया जा रहा है? कश्मीर में तालिबानी हुकूमत कब तक कायम रहेगी। यह कैसी जुम्मे की नमाज थी, जिसके बाद ‘मोहम्मद’ को बेदर्दी से मारा गया? क्या हत्यारे इस शब्द के मायने नहीं जानते थे? यह घोर शर्मनाक और हत्यारी हरकत है, जिसके लिए किसी भी मुसलमान को माफ नहीं किया जा सकता। आखिर यह सिलसिला कब तक जारी रहेगा? सेना ने घाटी में आपरेशन आलआउट चला रखा है। यानी अब सेना घाटी में सक्रिय 250 से अधिक आतंकियों का अस्तित्व ही खत्म करने पर तुली है। ऐसे में आपरेशन का खौफ न हो और कश्मीरी ही अपने कश्मीरी जवान को बेदर्दी से मार डालें, तो शक होता है कि कुछ ताकतें जरूर काम कर रही हैं। नौजवान बेटे, भाई, अंकल, पिता की लाश देखकर जब अयूब पंडित के परिजन चिल्ला उठे-मारो इन गिलानियों,यासीनों, फारूकों, शाहों को…। कहां है मीरवाइज… छीन लो इन नेताओं की हिफाजत…  इन्हें भी सड़कों पर ला पटको, तभी उन्हें एहसास होगा कि दूसरे की जान की कीमत क्या है? इनसान के मुखौटों और लिबास में ये हैवान दरिंदे हैं। उन्होंने उसी शख्स को मार दिया, जो सादे कपड़ों में उनकी हिफाजत के लिए तैनात था और अपनी रात काली कर रहा था। ऐसा रोष, ऐसा गुस्सा, ऐसी नफरत कमोवेश हमने श्रीनगर में नहीं देखी। यह तो आतंकवाद का भी विकृत रूप था। बेशक मीरवाइज उमर फारूक उस दरिदंगी के दौरान जामिया मस्जिद में था या नहीं, अब यह तथ्य जांच में उभर कर सामने आ जाएगा, लेकिन नौहट्टा में उसकी बेताज हुकूमत चलती है, यह तथ्य सभी जानते हैं। लिहाजा सवाल स्वाभाविक है कि आखिर वह भीड़ कौन सी थी? कहां से आई थी? किसने उसे एक जवान का कत्ल करने को उकसाया था? शायद जांच में कुछ खुलासे स्पष्ट हों, लेकिन अब इस निष्कर्ष पर पहुंच जाना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा की साझा सरकार पूरी तरह नाकाम हो चुकी है। सरकार पूरी तरह विरोधाभासों से भरी है। अब इस सरकार को बर्खास्त किया जाना चाहिए। ऐसे ही खामोश बैठे रहेंगे, तो भाजपा को ही नुकसान होगा। महबूबा एक नाकाम, पोपली मुख्यमंत्री हैं। हालांकि इस त्रासद घटना के बाद उन्होंने भी कहा है कि सेना और पुलिस जवानों के सब्र का ज्यादा इम्तिहान न लिया जाए। सब्र का पैमाना लबरेज हो गया, तो फिर बड़ी मुश्किल होगी, लेकिन अब केंद्र की मोदी सरकार को ज्यादा सब्र नहीं करना चाहिए। राज्य सरकार को खत्म किया जाए, गवर्नर को बदल कर नया गवर्नर नियुक्त किया जाए और राष्ट्रपति शासन के तहत कश्मीर को सेना के सुपुर्द किया जाए। तड़पते परिजनों में जो आवाजें ‘इंडियन हैं हम’ बोल रही थीं, उनके जरिए कश्मीर का मर्म जानने की अंतिम कोशिश की जाए। अब पाक पाक परस्त नेताओें और एजेंटों को खाक में मिलाना जरूरी हो गया है।

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