मुख्यमंत्री के शीतकालीन प्रवास की गर्माहट में कांगड़ा सुखविंदर सिंह सुक्खू को करीब देख रहा है, तो पर्यटन राजधानी के सफर की मंजिलें भी नजर आने लगी हैं। युग बदल रहा गगल एयरपोर्ट का विस्तार अब रेखांकित होने लगा है, तो एशियन विकास बैंक के वित्तीय सहयोग से धर्मशाला, नगरोटा, पालमपुर व पौंग बांध तक आशाएं तैरती हुई मिल जाएंगी। बहरहाल अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर की रूपरेखा में मुख्यमंत्री ने अपनी प्राथमिकता जाहिर की है। करीब डेढ़ सौ
फिल्म अभिनेता सैफ अली खान अस्पताल से घर लौट आए हैं। राजनेताओं की भाषा के मुताबिक, सैफ ‘टनाटन’ और बिल्कुल स्वस्थ नजर आ रहे हैं। हमले के मात्र पांच दिन बाद ही सैफ बिल्कुल ठीक हो गए, उनके गहरे जख्म भी भर गए, वाह! चमत्कार हो गया। यही हमारी राजनीति की भाषा है। हमारे नेताओं के ऐसे वाहियात और बेमानी विश्लेषण हैं कि वे सैफ पर जानलेवा हमले और बांग्लादेशी अभियुक्त को लेकर सवाल कर रहे हैं। बहरहाल हम इस मुद्दे को यहीं छोड़ते हैं, क्योंकि पुलिस और अन्य एजेंसियों को सम्यक जांच करने की पूरी स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। यह नेताओं के संदेहों और सवालों का क्षेत्र भी नहीं है। हमारा बुनि
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पदभार संभालते ही ताबड़तोड़ फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। बतौर राष्ट्रपति पहले ही दिन ट्रंप ने पेरिस जलवायु संधि से अलग होने का निर्णय ले लिया है। अमरीका अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का सदस्य भी नहीं रहेगा। अमरीका में अब जन्मजात नागरिकता का अधिकार लागू नहीं होगा। अब तक यहां जन्म लेने के साथ ही शिशु को नागरिकता मिल जाती है। ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन से जुड़े पेरिस समझौते से हटने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा है कि ‘मैं तुरंत पेरिस जलवायु संधि से हट रहा हूं, क्योंकि अमरीका अपने उद्योगों को उस स्थिति में हानि
हम कई बार दोहरा चुके हैं कि देश पर करीब 200 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। चूंकि अब सरकार ने उसका ब्याज चुकाने को 10.61 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज लिया है, तो स्थितियां स्पष्ट होने लगी हैं कि भारत सरकार पर आंतरिक कर्ज का बोझ कितना है? विदेशी कर्ज भी लाखों करोड़ रुपए में है, जिसका ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज मांगना पड़ रहा होगा। यह एक राष्ट्रीय यथार्थ सामने आया है। यदि कोई और आयाम है, तो भारत सरकार को स्पष्ट करना चाहिए। भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हम तीसरी बनने की ओर अग्रसर हैं। ऐसे बयान गोल-गपाड़े लगते हैं, क्योंकि असल में देश दि
अंतत: लैंड पूलिंग के जरिए हिमाचल शहरी विकास का खाका बीबीएन की जमीन पर उतर कर एक, आश्वासन दे रहा है। यहां भू संपत्ति के मालिक पूलिंग समझौते के तहत न केवल शहरी विकास के रेखांकन में अव्वल होंगे, बल्कि इससे एक व्यवस्थित बीबीएन का मानचित्र भी बनेगा। भले ही टीसीपी कानून की शर्तों में ऐसे उपाय शुरुआत में ही कर लेने चाहिए थे, लेकिन देरी से सही एक राह तो सामने आई। बीबीएन अब तक औद्योगिक प्रसार का डेस्टिनेशन बना रहा, जबकि यह ए
धर्मशाला और कुल्लू की पहाडिय़ों पर पैराग्लाइडिंग के मुकदमे खड़े हो गए, जब दो लोग आसमान में उडऩे का रोमांच सीने में दबाए सीधे मौत के कुएं में गिर गए। यह रोमांच की आत्महत्या क्यों न मानी जाए, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में कई पर्यटक व पायलट पैराग्लाइडिंग की ऊंचाई से फिसल कर जान गंवा चुके हैं। रोमांच की राह पर हिमाचल पर्यटन की खूबियां जिस तरह से प्रचारित हो रही हैं, उससे सुरक्षा, बचाव व राहत की चुनौतियां बढ़ जाती हैं। साहसिक खेलों में हिमाचल का होना दरअसल पर्यटन को नए आयाम पर ले जाना है, लेकिन ऐसे दोहन की शर्तें भी कबूल करनी होंगी। हम हर दिन देखते हैं कि किसी नई पहाड़ी पर पैराग्लाइडिंग हो रही है। अभी-अभी सरकाघाट के आकाश से छतरियां उतरी हैं, तो यह खूबसूरत नजारा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक पूरी व्यवस्था का अवतरण होना चाहिए। बेशक हिमाचल के ह
राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड टं्रप ने अमरीका की दक्षिणी सीमा, मैक्सिको बॉर्डर, पर आपातकाल घोषित कर दिया। वहां सेना भेजने की भी घोषणा की गई है। राष्ट्रपति टं्रप के लिए अवैध घुसपैठियों का मुद्दा सबसे संवेदनशील है। अवैध प्रवासियों को उनके मूल देश तक अमरीका छोड़ कर ही दम लेगा। इनमें करीब 18,000 भारतीयों पर भी तलवार लटकी है, जो अवैध प्रवासी हैं। मैक्सिको बॉर्डर पर दीवार बनाने का काम तेज किया जाएगा। राष्ट्रपति टं्रप के पहले कार्यकाल के
अमरीका ही नहीं, दुनिया भर में आज से ‘टं्रप युग’ का नया आगाज हुआ है। डोनाल्ड टं्रप अमरीका के 47वें राष्ट्रपति बने हैं। वह 131 साल के इतिहास में ‘व्हाइट हाउस’ में लौट कर आने वाले पहले अमरीकी राष्ट्रपति हैं। इस बार टं्रप अधिक ताकतवर राष्ट्रपति साबित होंगे, क्योंकि वह पहले भी राष्ट्रपति रह चुके हैं और इस बार अमरीका के साथ-साथ वैश्विक ब्लूप्रिंट भी उनके सामने है। राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने 100 आदेशों पर हस्ताक्षर किए हैं, ऐसा बताया जा रहा है। यह सुदृढ़ और बुनियादी लोकतंत्र की तस्वीर है कि जिस अमरीकी संसद (कैपिटल हिल) पर उनके समर्थकों ने, टं्रप के पिछला चुनाव हारने के बाद, धावा बोला दिया
पुलिस विभाग के आठ लोग जिस जंग को लड़ रहे थे, वह न्याय की प्रतीक्षा और परीक्षा में अंतत: एक ऐसी सुर्खी बनी जिसके सबक हमेशा जिंदा रहेंगे। संदेह की पुलिसिया कार्रवाई ने एक नेपाली नागरिक सूरज को जिस तफ्तीश में तड़पाया, आखिरकार उसी की छानबीन में पुलिस की टोली को सजा हो गई। एक गुनाह, एक दर्द और एक सियाह पन्ना हिमाचल की कानून व्यवस्था से गुजर गया, जब सीबीआई अदालत ने एक साथ आठ पुलिस कर्मियों को हिरासत में सूरज की मौत का दो