चाय से ट्यूलिप नगरी की आभा में पालमपुर के सीएसआईआर के हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी संस्थान ने न केवल अपने आंचल में फूलों का एक न•ाारा पेश किया है, बल्कि हिमाचल में फूलों के जरिए पर्यटन की खेती भी उगा दी है। यही वजह है कि मात्र बीस दिनों में पच्चास हजार के करीब सैलानी सीएसआईआर
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के बयान से गहरा सुकून मिला था, लेकिन बहुत जल्द ही वह खंड-खंड होकर बिखर गया। गवर्नर दास ने दावा किया था कि महंगाई का दौर बहुत पीछे छूट गया है। महंगाई अतीत हो चुकी है। हम महंगाई के प्रभावों से अब उबर रहे हैं। उन्होंने यह दावा
अपने पहले बजट की छाप और तान छेड़ कर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने खुद को एक अलग पैमाने पर रख दिया है और इसीलिए तमाम विश्लेषणों में कहीं न कहीं तो यह पूछा जाने लगा है कि वह कितने भिन्न और कितना आगे हो सकते हैं। एक ऐसा प्रदेश जिसके आर्थिक संसाधन कमजोर हों,
सर्वोच्च अदालत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने राज्यपाल की भूमिका, दायित्व और सदन में बहुमत साबित करने के आदेश सरीखे पहलुओं पर एक तार्किक बहस को सुना है और सभी पक्षों को सचेत भी किया है। बुनियादी संदर्भ महाराष्ट्र के अघाड़ी गठबंधन की सरकार का है। चूंकि शिवसेना में विधायकों के एक बहुमती
बजट की अखियों से हिमाचल को देखता यथार्थ अगर नए संसाधन खोज रहा है, तो वाटर सेस संबंधी अध्यादेश को मिली विधानसभा सदन की पूर्ण सहमति का आलेख अवश्य ही आत्मनिर्भरता की सुर्खी लिख रहा है। करीब 172 विद्युत परियोजनाओं के खाते से राजस्व आपूर्ति का अनुमान अगर चार हजार करोड़ के आंकड़े में आर्थिक
संसद में गतिरोध जारी है। सत्तारूढ़ पक्ष कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की माफी पर अड़ा है, तो कांग्रेस नेतृत्व वाला विपक्षी खेमा अडानी मामलों की जांच और जेपीसी के गठन पर आमादा है। विपक्ष के करीब 200 सांसदों ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुख्यालय तक पैदल मार्च करने और निदेशक को ज्ञापन देने की रणनीति
हंगामा तो होगा क्योंकि हम कह रहे, शुक्र है कि गुम बहस में कह रहे। बहाना कुछ भी हो हिमाचल कम से कम यह सोचने पर मजबूर तो हुआ कि सरकार को भी वित्तीय अनुशासन में रहकर फैसलों की तहजीब बनानी होगी। क्या चुनावी मोड में सरकारें इतनी उदार हो सकती हैं कि हर फैसला
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने एक मानवीय, लैंगिक, प्राकृतिक संबंधों की व्याख्या का मामला है। एक दर्जन से अधिक याचिकाएं विचाराधीन हैं, जिनमें समलैंगिक संबंधों को ‘कानूनी मान्यता’ देने के आग्रह निहित हैं। भारत सरकार ने अपने 56 पृष्ठीय हलफनामे में समलैंगिकता और ऐसे विवाह का विरोध किया है। इस मुद्दे को संसद
जनादेश की अदालत में हाजिरी के सबूत, सुबह सूरज, शाम नई सुबह की धूप। जनादेश के मूड में सरकार का सदैव तत्पर होना, सारे फासले और सारे रास्ते बदल देता है। सत्ता की सादगी में जनता की शरण में सरकारी चरित्र बदल सकता है। हिमाचल में सरकारों के मुखिया की बनती बिगड़ती छवियों का भी