राजनीति को ‘न’

(प्रेम कौशल, नादौन)

आज ऐसा लगता है कि हिमाचल की युवा पीढ़ी का राजनीति पर विश्वास ही नहीं है। निर्वाचन आयोग के एक शोध के अनुसार प्रदेश की युवा पीढ़ी एक डाक्टर, इंजीनीयर,अध्यापक, सांइटिस्ट बनना चाहती है, लेकिन राजनेता बनना उन्हैं किसी भी सूरत में पसंद नहीं है। एक युवा ने तो यहां तक कह दिया कि वह रेहड़ी लगा लेगा, पर राजनीति में नहीं जाएगा। निर्वाचन आयोग इस बार 15 से 17 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं के लिए स्कूलों में अलग-अलग वर्कशाप रख रहा है जिसमें उनसे राजनीति से संबधित सवाल जबाब किए जा रहे हैं, परंतु अब तक किए गए सर्वेक्षण के अनुसार सभी छात्रों ने राजनीति से तौबा की है। पहले राजनेता युवाओं के आदर्श होते थे। पहले कोई कहता था कि मै जवाहर लाल नेहरू जैसा बनूंगा, इंदिरा गांधी जैसा बनूंगा, पर अब ऐसा नहीं है। वजह यही है कि नेताओं का चरित्र बहुत ही गिर गया है। युवा पीढ़ी का इस तरह राजनीति को नकारना प्रदेश के लिए यह एक गंभीर विषय है। नेताओं को ईमानदारी से काम करने की जरूरत है, ताकि युवाओं का विश्वास बना रहे। ।

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