राजे की राजनीति

(सुरेश कुमार )

बहुत शोर उठा कि वसुंधरा राजे विस्थापितों का दर्द बांटने आ रही हैं। वह विस्थापितों को उनका हक दिलाने के मकसद से हिमाचल आने वाली हैं, पर सब किया धरा रह गया और उनका दौरा रद्द हो गया। जब अपने ही नेता हल न निकाल सके, तो दूसरे राज्य की मुख्यमंत्री को क्या पड़ी है। वह तो चुनावी वर्ष है, तो इस तरह के शगूफे तो होंगे ही। बेचारे हिमाचली सच में भोले हैं, उन्हें नहीं पता कि राजनीति भावनाओं से कैसे खेलती है। मुरब्बे देने होते तो क्या राजस्थान में बैठे- बैठे नहीं दिए जा सकते, उसके लिए चुनावी वर्ष में हिमाचल आने की क्या जरूरत है। इस पर विस्थापितों को तो कुछ नहीं मिलेगा, पर नेताओं को वोट जरूर मिल जाएंगे।

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