शिमला को नीदरलैंड्स के मॉडल से पानी

वर्ल्ड बैंक ने स्टडी को पांच अधिकारी भेजे, कोल डैम से बुझेगी प्यास

 शिमला— शिमला को 24×7 पानी उपलब्ध करवाने के लिए नीदरलैंड का मॉडल लागू किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार वर्ल्ड बैंक ने इस मॉडल की स्टडी के लिए आईपीएच के पांच अधिकारियों को नीदरलैंड्स भेजा है। ये अधिकारी वहां इस्तेमाल किए जा रहे मॉडल के आधार पर यहां पेयजल प्रबंधन की संभावनाओं को देखेंगे। बताया जाता है कि पांच दिन के इस विशेष टूअर से दो-तीन दिन में ये अधिकारी वापस लौट आएंगे। शिमला शहर में कोल डैम परियोजना से पानी लाने की योजना प्रस्तावित है। यह योजना शहर में 24 घंटे सात दिन पानी उपलब्ध करने के लिए बनाई जा रही है। आईपीएच विभाग ने इसके लिए एक डीपीआर तैयार की थी, जिसे वर्ल्ड बैंक ने मंजूर नहीं किया, जिसके बाद अब नए सिरे से डीपीआर बनाई जा रही है और इसके लिए जरूरी है कि अलग-अलग मॉडल को स्टडी किया जाए। बताया जाता है कि नीदरलैंड्स की कंपनी ने वर्ल्ड बैंक मिशन के सामने शिमला में अपनी प्रस्तुति दी थी। उन्होंने नीदरलैंड्स जाकर वहां के मॉडल को देखने की बात कही, जिसे वहां पर इस कंपनी द्वारा लागू किया जा रहा है। इस पर वर्ल्ड बैंक ने आईपीएच के पांच अधिकारियों को अपने खर्चे पर नीदरलैंड्स भेजा है। आईपीएच विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ के अलावा शिमला के एसई, एक्सईएन तथा दो एसडीओ नीदरलैंड गए हैं। ये अधिकारी वहां से लौटकर यहां अन्य अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे और कोल डैम योजना की बनाई जा रही डीपीआर में अमूलचूल परिवर्तन भी करेंगे। शिमला की पेयजल आपूर्ति को पूरा करने वाले वर्तमान स्रोतों से जो पानी यहां पर आ रहा है, उसका सही तरह से वितरण नहीं हो पाता। इसकी खामियां कई दफा उजागर हो चुकी हैं, परंतु इनको दूर नहीं किया जा सका है। यही कारण है कि कई लीटर पानी यहां पर व्यर्थ में बह जाता है और घरों तक नहीं पहुंच पाता।

बेहतर वितरण की योजना

कोल डैम की प्रस्तावित योजना में न केवल शहर के लिए नए स्रोत से लंबी अवधि के लिए पानी लाने की योजना है, बल्कि शहर में पेयजल के बेहतर वितरण भी योजना है। इसके लिए यहां पर नई पाइप लाइनें बिछाई जाएंगी और आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल होगा, ताकि पेयजल की बर्बादी को भी रोका जा सके।

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