शंघाई सहयोग संगठन में भारत
क्या है शंघाई सहयोग संगठन
अप्रैल 1996 में शंघाई में हुई एक बैठक में चीन, रूस, कजाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों से निपटने के लिए सहयोग करने पर राजी हुए थे। इसे शंघाई फाइव कहा गया था। जून 2001 में चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देशों कजाकस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन शुरू किया और नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ से निपटने तथा व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए समझौता किया। शंघाई फाइव के साथ उजबेकिस्तान के आने के बाद इस समूह को शंघाई सहयोग संगठन कहा गया। रूस, चीन, कजाकस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान एससीओ के स्थायी सदस्य देश हैं। शंघाई सहयोग संगठन के छह सदस्य देशों का भूभाग यूरोशिया का 60 प्रतिशत है। यहां दुनिया के एक चौथाई लोग रहते हैं। 2005 में कजाकस्तान के अस्ताना में हुए सम्मेलन में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भी पहली बार हिस्सा लिया। इस सम्मेलन के स्वागत भाषण में कजाकस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेफ ने कहा था कि इस वार्ता में शामिल देशों के नेता मानवता की आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। एससीओ ने संयुक्त राष्ट्र से भी संबंध स्थापित किए हैं और यह महासभा में पर्यवेक्षक है। एससीओ ने यूरोपीय संघ, आसियान, कॉमनवैल्थ और इस्लामिक सहयोग संगठन से भी संबंध स्थापित किए हैं। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर सहयोग बढ़ाना है। पश्चिमी मीडिया मानता रहा है कि एससीओ का मुख्य उद्देश्य नेटो के बराबर खड़ा होना ह।
भारत मैट्रीमोनी पर अपना सही संगी चुनें – निःशुल्क रजिस्टर करें !