समुदाय जीवन खुशहाली का आधार

तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में इतिहासकार भट्टाचार्य के बोल

शिमला —  व्यक्तिवादी स्वार्थों और राज्य सत्ता की सर्वोच्चता के बजाय सहयोग आधारित समुदाय जीवन ही भारत की खुशहाली का आधार हो सकता है। ये शब्द भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में चंपारण शताब्दी के अवसर पर ‘गांधी तथा चंपारण सत्याग्रह- एक प्रयास, विरासत तथा समसामयिक भारत’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन पर प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. सब्यसाची भट्टाचार्य ने कहे। इस अवसर पर प्रो. भट्टाचार्य ने आह्वान किया कि हमें याद रखना चाहिए कि भोगवाद का प्रतिरोध, सत्य के प्रति निष्ठा, समुदाय की नैतिक सत्ता और सरोकारी नागरिकता हमारे राष्ट्रीय आंदोलन और गांधी की सफलता के मूल्य रहे हैं। इन मौलिक तत्त्वों के प्रति सजगता की शुरुआत गांधीजी के नेतृत्व में चंपारण सत्याग्रह से हुई और आज भी वे गांधी के अनुयायियों व देश के लिए दिशा-निर्देशक हैं। संस्थान के पूर्व निदेशक व समाज-वैज्ञानिक प्रोफेसर चेतन सिंह ने किसानों से लेकर शहरी निर्धनता से त्रस्त नागरिकों के प्रश्नों के समाधान के लिए शांतिपूर्ण तरीकों से युक्त कार्यों की अनिवार्यता को रेखांकित करते हुए चंपारण सत्याग्रह की मूल्यवान भूमिका को समझने पर बल दिया। वहीं सर्वोदय आंदोलन में सात दशकों से जुड़ीं राधाभट्ट, साहित्यकार गिरिराज किशोर, राजनीतिक वैज्ञानिक गोपाल गुरु, रचनात्मक संगठनों के राष्ट्रीय मंच ‘अवार्ड’ के महासचिव सुरेंद्र कुमार, पत्रकार मणिमाला, दार्शनिक सुंदर सुरुकाई ने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम के अंत में संयोजक समीर बनर्जी ने सेमिनार में आए सामाजिक कार्यकर्ताओं और समाज-वैज्ञानिकों के योगदान के लिए आभार प्रकट किया।

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