हर वर्ष एक पेड़

(सूबेदार मेजर (से.नि.) कृष्ण चंद शर्मा, गगल )

जब हम कोई बड़ा छायादार या फलदार पेड़ देखते हैं, तो हमारा मन हर्ष के भाव से विभोर हो उठता है। पेड़ को देखते ही हम एकाएक कह उठते हैं, वाह क्या सुंदर पेड़ है। फिर हम इस पेड़ की रचना को ईश्वर की कृपा से जोड़ देते हैं। यह सही है कि प्राकृतिक संरचना ईश्वर की ही देन है, लेकिन पेड़ों के संरक्षण के पीछे मानव जाति का बड़ा हाथ है। मनुष्य के परिणाम से ईश्वर के मंदिरों का निर्माण होता है और आस्था का डंका मनुष्य ही बजाता है। इसलिए निर्माता अगर ईश्वर है तो संभाल का कार्य मनुष्य के जिम्मे है। पेड़ लगाना जहां पुण्य कमाने का काम है, उसकी रक्षा का दायित्व भी तो पुण्य कर्म है। पर्यावरण सुरक्षित है तो मानव जाति सुरक्षित है। ऐसे में हमें प्रकृति के प्रति अपने दायित्वों का समझते हुए हर वर्ष कम से कम एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए और आजीवन उसकी रक्षा का जिम्मा भी खुद ही संभालना चाहिए। अब बरसात का मौसम लगभग शुरू हो चुका है। यह मौसम नए पौधे लगाने के लिए हर लिहाज से सही माना जाता है। ऐसे में हर वर्ष एक पेड़ लगाने के संकल्प को अभी से व्यवहार में उतारना होगा। समाज के साथ-साथ इस पुनीत कार्य को सफल बनाने में प्रदेश के वन विभाग को भी अपनी भूमिका निर्धारित करना होगा।

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