आखिर कब तक स्टाफ पूरा करेगा स्वास्थ्य विभाग

प्रदेश भर में विभिन्न श्रेणियों के 22 हजार में से नौ हजार पद खाली, 600 से ज्यादा डाक्टरों की कमी

शिमला  —  प्रदेश सरकार ने साढ़े चार साल पहले सत्ता में आते ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के वादे किए थे। धीरे-धीरे समय गुजरता गया, पर स्वास्थ्य विभाग ज्यों का त्यों बदहाल रहा। अभी प्रदेश सरकार के पांच साल पूरे होने में थोड़ा समय शेष है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में सैकड़ों पद खाली हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर अपने वादों पर कितना खरा उतर पाई सरकार। प्रदेश में करीब 60 लाख लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी जिस स्वास्थ्य विभाग पर है, उस विभाग का अपना स्वास्थ्य ही खराब है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग में हजारों की संख्या में विभिन्न श्रेणी के पद खाली पड़े हैं, जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के तहत विभिन्न श्रेणी के 22212 पद स्वीकृत हैं और उनमें से नौ हजार 87 पद खाली पड़े हैं। सबसे बड़ी समस्या डाक्टरों की है। डाक्टरों के ही 600 से अधिक पद खाली पड़े हैं। ऐसे में सरकारी अस्पतालों में  स्वास्थ्य सेवाओं का हाल समझा जा सकता है। नियमों के मुताबिक पीएससी  के लिए एक डाक्टर, एक फार्मासिस्ट और एक सहायक, सीएचसी में चार डाक्टर व एक डेंटल डाक्टर, 50 बेडिड अस्पताल में आठ डाक्टरों व अन्य स्टाफ की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन अधिकतर अस्पतालों में ये नियम पूरे नहीं होते। वर्ष 2012 में प्रदेश में कुल 1597 डाक्टर थे, लेकिन 2012 से मार्च 2017 तक करीब 500 डाक्टरों के नए पद सृजत किए हैं। इसके साथ ही विभिन्न श्रेणी के 3248 पद स्वीकृत किए गए हैं। चिकित्सा अधिकारियों के 550 पद भरे हैं और 1250 के करीब स्टाफ नर्सों की भर्ती भी की। इसके बावजूद अभी भी डाक्टरों के 600 से अधिक पद खाली हैं।

प्रदेश में 2706 स्वास्थ्य केंद्र

प्रदेश मे वर्तमान में अलग-अलग श्रेणियों में डाक्टरों के 1897 डाक्टरों के पद हैं। इनमें से करीब 500 डाक्टरों के पद खाली हैं। इसके अलावा पैरामेडिकल स्टाफ की स्थिति भी कुछ खास अच्छी नहीं है। पूरे प्रदेश में वर्तमान में 2706 स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें 61 अस्पताल, 80 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 497 पीएचसी और 2068 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं। साथ ही 11 ईएसआई औषद्यालय केंद्र भी हैं। प्रदेश में नर्सिंग की स्थिति भी काफी खराब है।

टीएमसी-आईजीएमसी में ये हाल

आईजीएमसी शिमला में 2278 में से 1085 पद और टीएमसी में 1351 में से 524 पद खाली हैं। नाहन में केवल 47 पद भरे हैं, जबकि 1712 पद खाली हैं। चंबा में अभी तक एक पद भरा है और 200 खाली हैं व नेरचौक में 773 पद खाली हैं। हाल ही में नए कालेजों के लिए भी इन अस्पतालों के लिए फैकल्टी शिफ्ट की गई है। इसके कारण इन स्वास्थ्य संस्थानों में स्वास्थ्य सेवाओं पर विपरीत प्रभाव डाला है। हालांकि विभाग की ओर से प्रदेश ही नहीं, प्रदेश से बाहर भी डाक्टरों की भर्ती के लिए वॉक-इन-इंटरव्यू आयोजित किए गए, लेकिन कोई डाक्टर आने को तैयार नहीं है। वर्तमान में प्रदेश में चिकित्सों के 600 से भी अधिक पद खाली पड़े हैं। पर्याप्त बजट के बाद भी प्रदेश में डाक्टर ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। कई बार डाक्टरों को लगातार 36 घंटों तक ड्यूटी देनी पड़ती है। यही कारण है कि आईजीएसी से डाक्टरी करने के बाद ही कई डाक्टर विदेशों की फ्लाइट पकड़ लेते हैं, तो कई बीच में ही सरकार की नौकरी को छोड़कर अपने क्लीनिक खोल लेते हैं। परिणामस्वरूप राज्य के दूरस्थ क्षेत्र ही नहीं, शिमला में भी हालात खस्ता हैं। प्रदेश के बड़े अस्पताल में ही चिकित्सकों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ के करीब 300 पद खाली पड़े हैं।

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