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वर्ल्डकप फाइनल : लार्ड्स में कपिल का इतिहास दोहराने उतरेंगी महिलाएं

लंदन—  वर्ष 1983 में कपिल देव की कप्तानी में जिस तरह पुरुष टीम ने आईसीसी विश्वकप खिताब जीत इतिहास रचा था उसे लार्ड्स के इसी मैदान पर दोहराने से अब देश की महिला क्रिकेट टीम बस एक कदम की दूरी पर है। मिताली राज की कप्तानी वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने मात्र दूसरी ही बार आईसीसी विश्वकप के फाइनल में प्रवेश किया है, जहां उसके सामने रविवार को तीन बार की चैंपियन इंग्लैंड की चुनौती होगी। भारत ने वर्ष 2005 में पहली बार विश्वकप फाइनल में जगह बनाई थी, जहां वह आस्ट्रेलिया से हारकर उपविजेता रही थी। महिला टीम का यह टूर्नामेंट में सबसे अच्छा प्रदर्शन था, लेकिन इस बार उससे एक कदम आगे बढ़कर पहली बार खिताब हासिल कर भारतीय महिला क्रिकेट इतिहास के स्वर्णिम युग की शुरुआत करने की अपेक्षा है। पुरुष टीम के लिए कपिल 1983 में लार्ड्स के इसी मैदान पर पहले विश्वविजेता कप्तान बने तो अब मिताली पर भी क्रिकेट के ‘मक्का’ लार्ड्स मैदान पर पहली बार महिला टीम इंडिया को विश्व विजेता बनाने की जिम्मेदारी है। भारतीय महिला टीम ने न सिर्फ पिछले कुछ वर्षाें में अपने प्रदर्शन से अपने अलग रास्ते बनाए हैं बल्कि मौजूदा टूर्नामेंट में भी वह शुरुआत से लाजवाब प्रदर्शन की बदौलत शीर्ष टीमों में शुमार रही। भारत ने यहां अपनी शुरुआत ही इंग्लैंड के खिलाफ 35 रन की जीत से शुरू की थी और अब उसे विश्वकप का समापन भी मेजबान इंग्लैंड पर जीत से करना होगा। भारत ने इंग्लैंड को 35 रन, वेस्टइंडीज को सात विकेट, पाकिस्तान को 95 रन, श्रीलंका को 16 रन से हराकर लगातार चार मैच जीते। उसे दक्षिण अफ्रीका और आस्ट्रेलिया से फिर दो मैचों में शिकस्त मिली, लेकिन उसने कमाल की वापसी करते हुए करो या मरो के मैच में न्यूजीलैंड को 186 रन से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया और फिर छह बार की चैंपियन आस्ट्रेलिया को 36 रन से रोमांचक मैच में हराकर फाइनल में जगह पक्की कर ली। टीम मिताली के इस टूर्नामेंट में कमाल प्रदर्शन का यादगार मुकाबला निश्चित ही उसकी सबसे सफल टीम आस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल जीत रही, जिसमें 28 वर्षीय मध्यक्रम की बल्लेबाज हरमनप्रीत कौर को रातों रात स्टार बना दिया।

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