(जग्गू नौरिया, जसौर, नगरोटा बगवां )
याद नहीं वो पल, वो घडि़यां,
प्रताडि़त न होती हों कहीं लड़कियां,
कोई स्थान जगह नहीं है बची,
सुरक्षित महसूस कर हो खड़ी हक से,
कब तक जुर्म सहेगी बिटिया पूछता हूं सबसे?
मार दी जाती है कभी गर्भ में,
शायद बाद के हश्र के डर से,
मालूम नहीं क्या होगा साथ उसके,
घबराहट भरे कदम निकलते घर से,
कब तक जुर्म सहेगी बिटिया पूछता हूं सबसे?
चार दरिंदे फब्तियां कसते,
लोग तमाशदीन का किरदार निभाते,
वहशियों की टोलियां बढ़ गईं,
हिफाजत चाटता दीमक कब से,
कब तक जुर्म सहेगी बिटिया पूछता हूं सबसे?
विकास की बातें हांकने वालो,
कुछ तो शर्म लिहाज करो,
विकास में दरिंदे ही बढ़ रहे,
नित नए-नए अपराध वे करते,
कब तक जुर्म सहेगी बिटिया पूछता हूं सबसे?
जिन हाथों में सुरक्षा की डोर है,
वे हाथ बहुत ही कमजोर हैं,
देश को लूटने की मची होड़ है,
सत्य क्या कहना एक मत से,
कब तक जुर्म सहेगी बिटिया पूछता हूं सबसे?
चोर-उचक्के बढ़ते, बढ़ने दो,
नशेडि़यों को नशे में मरने दो,
जुर्म बिटिया पर करे न कोई,
मिटाना है अपराध विवेक और बल से,
कब तक जुर्म सहेगी बिटिया पूछता हूं सबसे?
जाग जाओ बहन के भाई,
कसम राखी की बंधी कलाई,
देख कैसे दरिंदों ने लाड़ली मार मुकाई,
करने होंगे वार तुझे सीधे खड़ग के,
कब तक जुर्म सहेगी बिटिया पूछता हूं सबसे?
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