कृषि हेल्पलाइन

पेड़ पर पकने के बाद ही तोड़ें फल

हिमाचल प्रदेश में फलों के अंतर्गत क्षेत्र निरंतर बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में फलों की भारी मात्रा बहुत ही कम समय में पककर तैयार हो जाती है,जिसके कारण फल की मात्रा देश की विभिन्न मंडियों में बिक्री के लिए एक ही समय पहुंच जाती है, जिससे एक ओर फलों के भाव काफी हद तक गिर जाते हैं, वहीं दूसरी ओर फलों की परिपक्व अवस्था तुड़ाई, ग्रेडिंग और पैकिंग की सही जानकारी न होने के कारण बागबान अपने उत्पादन को उचित मंडियों तक भेजने में असमर्थ होते हैं। मंडियों से उपलब्ध आंकड़ों से ज्ञात हुआ है कि विपणनकाल के आरंभ होते ही सेब अधिक मूल्य प्राप्त करती है यद्यपि यह भाव बहुत कम समय के लिए होते हैं, तथापि इससे प्रभावित होकर बागबान एक ही समय में अधिक फल मंडियों में भेजने का प्रयास करते हैं। इस तरह प्रायः कच्चा फल ही उपभोक्ता तक पहुंच जाता है, जो कि गुणों में कम स्वादिष्ट एवं रसहीन होता है।

फलों के गुणों की पर्याप्त जानकारी न होने के कारण उपभोक्त शुरू में तो ऐसा फल खरीद लाता है परंतु इसके बाद वह ऐसा फल खरीदने से हिचकिचाता है, जिससे मंडी में देर से आने वाले फल अच्छे फलों के भाव भी प्रभावित होते हैं।

उपरोक्त बातों को मद्देनजर रखते हुए यह आवश्यक है कि बागबानों को फलों की तुड़ाई एवं संभाल के विषय में समुचित जानकारी हो। उचित अवस्था यानी जब फल पर रंग आना आरंभ हो जाए, फल के भीतर गूढ़ा हल्का पीला और बीज का रंग हल्का भूरा हो जाए, फल को हाथ में पकड़कर घुमाने से यह आसानी से टूट जाए, तब फलों की तुड़ाई आरंभ करनी चाहिए, क्योंकि ये सभी लक्षण सभी फलों पर एक साथ प्रकट नहीं होते। अतः तुड़ाई विभिन्न अवस्थाओं में करनी चाहिए। इससे बागबानों को अपने उत्पादन से अधिकाधिक लाभ प्राप्त होगा। फलों को डंडी समेत तोड़कर छाया में एकत्रित करें। तुड़ाई और भंडारण बागीचे के अंदर या समीप ही किसी खुले छायादार एवं हवादार स्थान पर करें। भंडार में फलों के पहुंचने पर ग्रेडिंग और पैकिंग का काम आरंभ हो जाता है। ग्रेडिंग फलों के आकार, वजन, आकृति, रंग, परिपक्वता के आधार पर की जाती है। आकार के आधार पर ग्रेडिंग करना फलों की उचित पैकिंग के लिए अनिवार्य है।

ढुलाई एवं भंडारण करते समय पेटियों को तिरपाल या पोलिथीन की शीट से ढककर रखें। पेटियों का ढांक लगाते समय यह ध्यान रहे कि नीचे वाली पेटियां जमीन के संपर्क में न रहें। इसके लिए लकड़ी के तख्तों या सपाट पत्थरों आदि का प्रयोग करें। विभिन्न ग्रेडों के अनुसार ट्रे में फल रखने के लिए रैक बने होते हैं। अतः एक ग्रेड के फल दूसरे ग्रेड की ट्रे में न भरें। पेटियों के ढक्कनों के किनारे एक-दूसरे के नीचे दबाकर पेटियां बंद करें। चिपकने वाली पट्टियां ऊपर व नीचे जोड़ों पर चिपकाएं तथा बाद में पेटियों को फीते से कस दें, जिसके लिए मजबूत पत्ती के क्लिपों का प्रयोग करें। इन पेटियों के बाहर लॉट नंबर, जाति, ग्रेड व पूरा पता लिखने के लिए स्थान अंकित होता है।

डा. जितेंद्र चौहान व डा. उदय शर्मा

सौजन्यः डा. राकेश गुप्ता, छात्र कल्याण अधिकारी,

डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन

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