टीबी की जंग में एक और राष्ट्रीय पुरस्कार

मंडी —  टीबी के खिलाफ जंग में हिमाचल ने एक बार फिर राष्ट्रीय पुरस्कार झटका है। हालांकि स्वास्थ्य सुविधाओं के अन्य पैमानों में हिमाचल राष्ट्रीय स्तर पर फिसड्डी रहा है। ऐसे में ‘टीबी हारेगा-देश जीतेगा’ का नारा तो हम सार्थक कर रहे हैं, लेकिन अन्य स्वास्थ्य पहलुओं में पिछड़ना हिमाचल के स्वास्थ्य की हालत बयां करता है। मध्य प्रदेश के इंदौर में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की चौथी पब्लिक हैल्थ केयर सिस्टम में अच्छे, प्रतिकृति प्रथाओं और नवाचार पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में हिमाचल को आरएनटीसीपी (रिवाइज्ड नेशनल ट्यूबल क्लोसिज प्रोग्राम) के अंतर्गत दूसरा स्थान हासिल हुआ है। कार्यक्रम में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, अनुप्रिया पटेल सहित अन्य गणमान्य आरएनटीसीपी में पहला पुरस्कार मिला है। यह पहली बार नहीं है कि हिमाचल को टीबी पर हो रहे काम के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला हो। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इस चौथे शिखर सम्मेलन में हैल्थ इंडिकेटर व सर्विस डिलीवरी के लिए भी इनाम बांटे गए, जिसमें भी हिमाचल खाली हाथ रहा। इसमें बेस्ट इंडोर सर्विस के लिए देश भर के राज्यों में आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान को अवार्ड मिला, जबकि केंद्र शासित में दमन द्वीप ने इनाम झटका। बेहतरीन आउट पेशेंट सर्विस के लिए गुजरात, पंजाब व झारखंड ने इनाम झटका है। हिमाचल यहां भी खाली हाथ ही रहा। शिशु मृत्यु दर में कमी के मामले में हिमाचल को कोई पुरस्कार नहीं मिला। स्टेट टीबी अफसर डा. बारिया ने बताया कि यह खुशी की बात है कि हिमाचल में टीबी पर हो रहे कार्यों के लिए हमें राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहन मिल रहा है। बताते चलें कि हिमाचल देश में एफडीसी व टीबी मरीजों को रोजाना आहार देने वाला पहला राज्य है। पहली फरवरी, 2017 से इसे शुरू किया गया था।

* टीबी में हो रहे बेहतरीन कार्यों के चलते हिमाचल को यह अवार्ड मिला है। इसके साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र के अन्य पहलुओं में हमें अवार्ड नहीं मिला, लेकिन उनमें भी काफी बेहतरीन कार्य किए जा रहे हैं। सरकार ने कई लाभकारी योजनाओं की शुरुआत की है

कौल सिंह ठाकुर

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री

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