दैनिक जीवन-गणित के प्रश्नों में उलझे छात्र

पहली मूल्यांकन परीक्षा में ही सामने आई खामियां, सही उत्तर नहीं दे पाए स्टूडेंट

शिमला  —  प्रदेश में शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने के लिए पहल, प्रेरणा समेत कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद छात्रों में उस तरह की क्षमता विकसित नहीं हो पाई है, जिस तरह की उम्मीद की जा रही थी। इस बात का खुलासा बुधवार से शुरू हुई मूल्यांकन परीक्षा के पहले दिन ही हो गया। पहले दिन ही पहली से आठवीं के छात्र गणित और दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर देने में असहज पाए गए। दरअसल एसएसए के तहत इस बार पहली से आठवीं तक के लिए प्रश्न पत्र तैयार किए गए हैं, ताकि सभी जगह छात्रों का मूल्यांकन एकसमान कसौटी पर हो सके। इसमें इस बार कुछ ऐसे भी प्रश्न तैयार किए गए हैं, जिससे पाठ्यक्रम के अलावा बच्चों के मानसिक विकास का भी मूल्यांकन किया जा सके। इसमें बच्चों के आत्म-अभिव्यक्ति और दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्नों को भी शामिल किया गया है, लेकिन पहले दिन ही अधिकतर छात्र इन प्रश्नों पर उलझ गए और सही से उत्तर नहीं दे पाए। यह पहला मौका नहीं है, जब स्कूलों में छात्रों को पढ़ाने में लापरवाही पाई गई है। गत दिनों एसएसए की ओर से किए गए विभिन्न स्कूलों के निरीक्षण के दौरान सामने आया था कि अधिकतर छात्र गणित, विज्ञान में लर्निंग एक्टिविटी के नाम पर केवल खानापूर्ति ही कर रहे हैं और किताबों में एक्टरीविटी से जुड़े कॉलम खाली रखे जा रहे हैं। पहले पाठ को पूरा किए बिना ही दूसरा पाठ पढ़ा दिया जाता है। राज्य परियोजना निदेशक ने इस पर सख्ती से कार्रवाई करने को कहा है। उन्होंने बताया कि राज्य के समस्त शीतकालीन पाठशालाओं में कक्षा प्रथम से आठवीं कक्षा के प्रथम सत्र आकलन का 12 जुलाई से प्रारंभ हो चुका है। प्रथम दिन राज्य परियोजना निदेशक घनश्याम चंद ने कुछ स्थानीय पाठशालाओं का औचक निरीक्षण एवं छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं का अवलोकन भी किया। उन्होंने पाया कि अधिकतर छात्र साधारण अवधारणाओं से संबंधित प्रश्नों को ही हल कर पाए। सवालों को हल करने तथा आत्म-अभिव्यक्ति से जुड़े प्रश्नों को हल करने में छात्र कठिनाई महसूस कर रहे थे। निदेशक  ने संबंधित स्कूलों के अध्यापकों को निर्देश दिए कि वे बदलते समय के अनुसार शिक्षण पद्धति में सुधार लाएं और भाषा के सुधार की ओर विशेष ध्यान दें।

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