फाइनल में फिसलीं बेटियां

महिला विश्व कप के फाइनल में इंग्लैंड ने नौ रन से हराकर तोड़ा दुनिया जीतने का सपना

लार्ड्स – 1983 में कपिल देव की टीम द्वारा लार्ड्स में रचे गए इतिहास को दोहराने की दहलीज तक पहुंच चुकी भारतीय बेटियां फाइनल ओवरों में फिसल गईं और इंग्लैंड ने नौ रन से खिताब अपने नाम कर लिया। इंग्लैंड की टीम ने पहले खेलते हुए 229 रन का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य भारत के सामने रखा था, जिसके जवाब में टीम इंडिया 48.4 ओवर में 219 रन पर ही आलआउट हो गई। टारगेट का पीछा करने उतरी भारत की शुरुआत अच्छी नहीं रही और दूसरे ही ओवर में तीन रन के स्कोर पर पहला विकेट गिर गया। इसके बाद कप्तान मिताली राज (17) का विकेट गिरा।  तीसरा विकेट हरमनप्रीत कौर (51) का रहा, जो 33.3 ओवर में 138 के टीम के स्कोर पर एलेक्स हर्टले की बॉल पर ब्यूमोंट को कैच दे बैठीं। एक समय 42.4 ओवर में भारत का स्कोर तीन विकेट पर 191 रन था, लेकिन इसके बाद अगले 10 रन के अंदर भारत के चार विकेट गिर गए। पूनम राउत (86) की जुझारू पारी के बावजूद भारतीय टीम कोई करिश्मा नहीं दिखा पाई और अंतिम ओवरों में बल्लेबाजों के गैर जिम्मेदाराना खेल के कारण पूरी टीम 48.4 ओवर में ही आलआउट हो गई। इसके साथ ही भारतीय महिलाओं का विश्व कप जीतने का सपना भी चकनाचूर हो गया।

विकेट की पीछे छाई हिमाचली बेटी

लार्ड्स में रविवार को भारतीय महिला क्रिकेट टीम भले ही इतिहास रचने से चूक गई, लेकिन पूरे टूर्नामेंट में हिमाचल की बेटी और ‘दिव्य हिमाचल एक्सीलेंस अवार्ड’ से सम्मानित सुषमा वर्मा की विकेटकीपिंग की जमकर तारीफ हुई। फाइनल में उनका बल्ला नहीं चला, लेकिन विकेटकीपिंग करते हुए उन्होंने विपक्षी टीम को बाई का एक भी रन नहीं लेने दिया और मैच में इंग्लैंड की दूसरी सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज का कैच भी लिया।

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