मध्य प्रदेश में अब बैल बनने को मजबूर किसान

डिंडौरी— मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिला के मटियारी गांव में सिस्टम के आगे लाचार किसान अब बैल बनकर स्वयं खेत में जुतने को मजूबर है। आर्थिक तंगी से परेशान किसान को जब फसल बोने के लिए कोई चारा नजर नहीं आया तो वह मजबूरन पत्नी के साथ स्वयं बैल बनकर जुताई कार्य में लग गया। मामला मीडिया तक पहुंचने के बाद प्रशासन भी हरकत में आया। कलेक्टर ने उसे बैल जोड़ी के लिए 30 हजार रुपए देने की बात कही है। पीडि़त किसान गेंदू सिंह को विशेष केंद्रीय सहायता योजना के तहत वर्ष 2009 में एक जोड़ी बैल मिलने का केस स्वीकृत हुआ था। बैल जोड़ी वितरण के दौरान सरपंच, सचिव समेत तत्कालीन जनपद सदस्य ने मिलकर बैल जोड़ी के साथ फोटो दूसरे ग्रामीण की खींचकर दूसरे को बेच दिया। सरकारी रिकार्ड में हितग्राहियों के नाम तो सही हैं, लेकिन बैल के साथ दूसरे ग्रामीणों की फोटो लगाकर फर्जीबाड़ा किया गया। आठ साल से परेशान किसान को न तो अब तक बैल मिले हैं और न ही न्याय। मामला थाने में दर्ज होने के बाद सन् 2010 से जिला सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। धान रोपाई का समय निकलता देख मजबूरन पीडि़त गेंदू सिंह अपनी पत्नी सविता के साथ स्वयं हल लेकर जुताई में जुट गया। पीडि़त की मानें तो बैल न होने से उसे गत सात साल से इस तरह ही खेती करनी पड़ रही है। सामूहिक खाते में लगभग साढ़े छह एकड़ जमीन किसान के पास है। इसमें गेंदू सिंह के भतीजों की भी हिस्सेदारी है। पीडि़त के पास न तो रहने के लिए अच्छा मकान है और न ही मवेशी। उसने बताया कि जमा पूंजी भी नहीं है कि वह बैल जोड़ी खरीद सके।

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