वीरभद्र सिंह को राहत नहीं

मनी लांड्रिंग केस में ईडी की एफआईआर रद्द करने की याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में खारिज

नई दिल्ली —  मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को दिल्ली उच्च न्यायालय से सोमवार को झटका लगा है। न्यायालय ने सीएम वीरभद्र की वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। मुख्यमंत्री की तरफ से मनी लांड्रिंग के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मांग की गई थी कि उनके व अन्य आठ आरोपियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर किए गए मनी लांड्रिंग मामले की एफआईआर रद्द कर दी जानी चाहिए। सोमवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व अन्य की तरफ से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आरके गौबा ने इसे खारिज करने के आदेश दिए। इनमें यह भी कहा गया कि ईडी को इस मामले की न केवल जांच का पूरा अधिकार है, बल्कि मुख्यमंत्री समेत नौ आरोपियों से जांच एजेंसी पूछताछ के साथ-साथ उनकी गिरफ्तारी भी कर सकती है। न्यायमूर्ति आरके गौबा पर आधारित खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई की एफआईआर के आधार पर ही इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मुकद्दमा दर्ज किया था। ईडी ने अदालत के समक्ष कहा था कि वीरभद्र सिंह की याचिका निराधार है। इस मामले में जांच अभी शुरुआती स्तर पर ही है। ऐसे में एफआईआर को रद्द करने का सवाल नहीं उठता है। मामले में सीबीआई द्वारा 31 मार्च को मुख्यमंत्री व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह समेत नौ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था।  मुख्यमंत्री पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2009 से 2011 में केंद्रीय मंत्री रहते हुए 10 करोड़ रुपए की संपत्ति अवैध स्रोत से अर्जित की थी। यह राशि उनकी वैध आय के स्रोत से 192 प्रतिशत अधिक पाई गई। उधर, मुख्यमंत्री ऐसे सभी आरोपों को न केवल सिरे से नकारते रहे हैं, बल्कि इस पूरे प्रकरण को उनके खिलाफ विरोधियों की साजिश बताते रहे हैं। उनका यह भी कहना था कि जिस तरह से वह पहले रचे जाते रहे षड्यंत्रों से बाहर निकलते रहे हैं, इस बार भी पाक साफ होकर बाहर निकलेंगे।