सेब पर नहीं चढ़ा रंग, बागबान बेचैन

पहले बेमौसमी बरसात ने सताए, अब नई टेंशन

शिमला – प्रदेश में मानसून ने रफ्तार पकड़ ली है। ऐसे में बागबानों की चिंता और बढ़ने लगी है। बागबानों को पहले जहां बेमौसमी बारिश की मार झेलनी पड़ी, वहीं अब सेब बाहुल्य क्षेत्रों में सेब के दानों में रंग नहीं चढ़ पाया है, जो बागबानों की चिंता का विषय बन गया है। बागबानों को चिंता है कि अगर आगामी दिनों में भी मौसम के तेवर कड़े रहते हैं तो कहीं उन्हें हरी फसल ही मार्केट में न उतारनी पड़े।  मौजूदा समय में प्रदेश के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों से फसल मार्केट पहुंच रही है। 15 जुलाई तक मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों से भी फसल मार्केट में उतरने की उम्मीदें जताई जा रही हैं, मगर अभी तक सेब के दानों में उतना रंग नहीं चढ़ पाया है, जिसके बूते पर बागबानों को फसल के बेहतर दाम मिल सकें। हालांकि बारिश उन क्षेत्रों के सेब के लिए बेहतर मानी जा रही है जिन क्षेत्रों में अभी समय बाकी है, मगर उन क्षेत्रों के लोग चिंतित हैं, क्योंकि फसल में साइज तो है, मगर रंग नहीं। प्रदेश की सबसे बड़ी फल मंडी ढली में भी इन दिनों जो फसल पहुंच रही है, उसमें रंग की कमी है। ऐसे में बागबानों को सेब सीजन की शुरुआत में उतने दाम नहीं मिल पा रहे हैं, जितने दाम बीते वर्ष मिले थे, जिसके चलते बागबानों के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती हैं।

1700 रुपए तक पहुंचा रॉयल

फल मंडी में रॉयल सेब के दाम दौ हजार से लुढ़क कर 1700 रुपए प्रति बॉक्स पहुंच गए हैं। रॉयल सेब 800 से 1700 रुपए प्रति बॉक्स के हिसाब से बिक रहा है, जो बीते वर्ष के सीजन के मुकाबले कम है।

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