हिमाचल से करोड़ों की ठगी के संकेत

चिटफंड कंपनी पीएसीएल मामला, 19 लाख तो धर्मशाला के एजेंट के पास ही थे जमा

मटौर – चिटफंड कंपनी पीएसीएल (पर्ल एग्रोटेक कारपोरेशन लिमिटेड) ने हिमाचल के लोगों को ठगने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ‘दिव्य हिमाचल’ की प्रारंभिक पड़ताल में पता चला है कि धर्मशाला स्थित पीएसीएल की ब्रांच में काम करने वाले एक ही एजेंट के पास लगभग दो दर्जन लोगों ने 19 लाख के करीब पैसे जमा करवाए थे। प्रदेश में ऐसे एजेंटों की संख्या हजारों में बताई जा रही है। सही आंकड़े का तो अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन बताया जा रहा है कि प्रदेश में पीएसीएल की 50 से अधिक शाखाएं थीं, जिनमें एजेंटों के माध्यम से पैसा जमा करवाया जाता था। एजेंटों ने इसमें मोटा पैसा कमाया, क्योंकि उन्हें मोटी कमीशन दी जाती थी। पैसे जमा करवाने वाले लोग एजेंटों की जान-पहचान के होते थे, जो भरोसा कर पैसा जमा करवाते रहे और एजेंटों को मोटा कमीशन इसमें मिलता रहा। जिला कांगड़ा के जवाली और कांगड़ा क्षेत्र से ही अभी तक ठगी का शिकार हुए 200 लोगों की लिस्ट सामने आई है। इसका आंकड़ा लाखों में जाएगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता पीएस शारदा ने ठगी का शिकार हुए लोगों को न्याय दिलाने की बात कही है। उन्होंने भारत सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। गौरतलब है कि पर्ल एग्रोटेक कारपोरेशन लिमिटेड के नाम से कंपनी ने 1999-2000 के आसपास भारत में काम शुरू किया था। यह कंपनी एग्रीकल्चर और रियल एस्टेट में बिजनेस करने के नाम से लोगों से पैसे लेती थी। लोगों को बताया गया था कि पांच साल में उनका पैसा डबल किया जाएगा। शुरू के पांच-छह साल में कंपनी ने लोगों को आकर्षित करने के लिए पैसा दिया भी, लेकिन बाद में कंपनी ने धीरे-धीरे काम समेटना शुरू कर दिया। कंपनी द्वारा जो कार्यालय खोले गए थे, वे बंद होने लगे। लोग जब पैसों की डिमांड करने लगे तो कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए। जब लोगों को लगा कि वे ठगे गए हैं तो उन्होंने पैसा देना बंद कर दिया। जब सुप्रीम कोर्ट के ध्यान में यह मामला लाया गया तो कोर्ट ने जांच के लिए जस्टिस आरएम लोढा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। 2015 में पीएसीएल के प्रोमोटर और डायरेक्टर समेत इसके दस इनटाइटिस के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय लोढा कमेटी की जांच में सामने आया है कि पीएसीएल को करीब 81500 करोड़ की देनदारी है, जबकि कंपनी के पास प्रॉपर्टी 7600 करोड़ के आसपास है।