1880 में हुआ बैंटनी कैसल का निर्माण

बैंटनी भवन तब के सिरमौर के महाराजा का गर्मियों का निवास महल था, जिसका निर्माण 1880 ई. में हुआ था। इसका नाम गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक के नाम से लिया गया है, जो समीपवर्ती ग्रैंड होटल के संकुल में रहता था इसलिए सारी पहाड़ी को ही बैंटनी नाम से जाना जाता है…

बैंटनी

विरासत में मिला  बैंटनी भवन तब के सिरमौर के महाराजा का गर्मियों का निवास महल था, जिसका निर्माण 1880 ई. में हुआ था। इसका नाम गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक के नाम से लिया गया है, जो समीपवर्ती ग्रैंड होटल के संकुल में रहता था इसलिए सारी पहाड़ी को ही बैंटनी नाम से जाना जाता है। इसके पूर्व वहां कैप्टन गार्डन के स्वामित्व की जीर्ण-शीर्ण झोंपड़ी थी, जो उस स्थान पर खड़ी है। यह सुंदर भवन शिखर शिल्प शैली का एक रोचक मिश्रण है जो कि डयोडी के ऊपर पैगोड़ा रूपी रचना और लकड़ी के भरपूर प्रयोग को दर्शाता है। भवन की चहारदीवारी ढले हुए लोहे की आड़ द्वारा की गई है जिसे नाहन के प्रसि। ढलाई के कारखाने में तैयार किया गया था। सरकार ने 26 जुलाई, 2011 ई. को माल स्थित 130 वर्षा पुराने एतिहासिक बैंटनी भवन के अभिग्रहण के आदेश दिए जिससे किसी भी ऐसे अभियान को विराम लग गया, जिसका परिणाम इस बहुमूल्य ब्रिटिश धरोहर को व्यावसायकि उद्यम के लिए खो देना था।

बरोटीवाला

यह सोलन जिला का तेजी से उभरता हुआ औद्योगिक नगर है, इसे कालका परवाणु तथा नालागढ़ से सड़क द्वारा पहुंचा जा सकता है।

जैव प्रौद्योगिकी पार्क

जुलाई 27, 2011 को राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपए की लागत से सोलन जिला में नालागढ़ के निकट अदुवाल गांव में लगभग 35 एकड़ के क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी पार्क को स्थापित करने की स्वीकृति प्रदान की। इस पार्क में लगभग 1.70 एकड़ में बनने वाला एक जैव प्रौद्योगिकी अंड सेवन केंद्र है तथा जैव प्रौद्योगिकी को औद्योगिक समूह है, जो कि एक निजी प्रवर्तक द्वारा लगभग 31.93 एकड़ में विकसित किया गया है।

भंगाणी

यह वह स्थान है, जहां सिख गुरु गोबिंद सिंह ने गढ़वाल के राजा फतेहशाह और 22 पहाड़ी शासकों की सेनाओं को हराया था। यह स्मारक उन शासकों की याद में बनाया गया था, जो वहां मारे गए थे तथा वे रानियां जिन्होंने उस समय की परंपरा का निर्वहन करते हुए  आत्मदाह कर लिया था। यह स्थान सिरमौर जिला में स्थित है। यह पौंटा से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है। यह हिंदू और सिख दोनों की धार्मिक रुचियों का स्थान है। वहां एक गुरुद्वारा और भद्रकाली को समर्पित दो मंदिर हैं।

बंजार

यह कुल्लू से 58 किलोमीटर दूर 1524 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह तीर्थन नदी में ट्राउट मछली पकड़ने के कार्य के लिए प्रसिद्ध है।

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