अपनी जमीन नहीं तो जन्नत कहां

(अक्षित, आदित्य, तिलक राज गुप्ता, रादौर, हरियाणा)

कैसी विडबंना है जिस अबू दुजाना ने अपने देश पाकिस्तान की राह पर भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में आतंकवाद का बीड़ा उठाया। कुछ दिन पहले उसकी मौत के बाद उसके शव को उसके परिवार तक पहुंचाने की भारत की कोशिश को पाकिस्तान ने नकार दिया और उसे भारत की जमीन से ही सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। यानी कि अबू दुजाना ने सेवाएं पाकिस्तान के लिए दीं, पर जमीन में जगह उसे उस देश ने दी, जिसके खिलाफ उसने हथियार उठाए। पाकिस्तान और कश्मीर के अलगाववादी नेता बताएं कि उन्होंने अपने बच्चों को शहादत और जन्नत की उस राह पर क्यों नहीं चलाया है, जिस पर उन्होंने लाचार, गरीब लोगों के बच्चों को चलाया है। काश पाकिस्तान और कश्मीर के दिग्भ्रमित युवा आतंकवाद के नाम पर अपनी दुकानें चलाने वाले तत्त्वों की हकीकत से रू-ब-रू होकर तबाही के रास्ते से किनारा करें।

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