एचआरटीसी को लाखों की चपत

लो-फ्लोर बसें हटने से निगम को हो रहा घाटा, लोग भी परेशान

हमीरपुर —  लो-फ्लोर बसें रोड ऑफ होने से निगम को रोजाना लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। निगम ने इसके लिए प्रदेश के सभी आरएम को शिमला बुला लिया है। दो दिन तक लो-फ्लोर बसों को चलाने के लिए रणनीति बनाई जाएगी, ताकि निगम को रोजाना हो रहे घाटे से उबारा जा सके। प्रदेश के सभी डिपुओं में जेएनएनयूआरएम बसें रोड ऑफ कर दी गई हैं। क्लस्टर सिस्टम के चलते निगम को इसका तगड़ा झटका लगा है। निगम की जेएनएनयूआरएम बसें वर्कशॉप या फिर बस अड्डों में खड़ी कर दी हैं। इससे निगम के 28 डिपुओं में रोजाना लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। लो-फ्लोर बसों को सड़कों पर दौड़ने के लिए अब नए रूटों का इंतजार करना होगा। प्रदेश की सड़कों पर अब वही बसें दौड़ रही हैं, जिन्हें खुद के रूट परमिट जारी हुए हैं, जबकि एचआरटीसी रूटों पर दौड़ रही लो-फ्लोर बसों पर इसकी गाज गिरी है। निगम उक्त बसों को लोकल व लांग रूटों पर दौड़ा रहा था। अब यात्रियों की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं। निगम की बसें बंद होने से डिपुओं की भी परेशानी बढ़ गई है। डिपुओं में एचआरटीसी की अधिकतर पुरानी बसें कंडम करके हटा दी गई हैं। इसके चलते सभी रूट बहाल करना मुश्किल हो गया है। एचआरटीसी ने इसके लिए सभी आरएम की आपातकालीन बैठक बुलाई है, ताकि लो-फ्लोर बसों का हल निकाला जा सके। उम्मीद यही जताई जा रही है कि आरएम की बैठक में लो-फ्लोर बसों के लिए जल्द ही नई रणनीति बनाई जाएगी, ताकि निगम व यात्रियों को इसका लाभ मिल सके।  एचआरटीसी के मंडलीय प्रबंधक दलजीत सिंह का कहना है कि लो-फ्लोर बसें रोड ऑफ होने के चलते प्रदेश के सभी आरएम की बैठक बुलाई गई है, ताकि खड़ी बसों का कोई हल निकाला जा सके।

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