गर्म पानी के कुंडों का रहस्य

भारत में कई प्रसिद्ध तीर्थों के आसपास गर्म पानी के कुंड हैं। ये हर सीजन में गर्म क्यों रहते हैं, यह आज भी रहस्य बना हुआ है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही गर्म पानी के कुंडों के बारे में।

यमुनोत्री का कुंड- उत्तराखंड में यमुनोत्री नदी के पास बना यमुना देवी का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यमुनोत्री पहुंचने पर यहां का मुख्य आकर्षण तप्तकुंड हैं। इनमें सबसे तप्त जल कुंड का स्रोत मंदिर से लगभग 20 फुट की दूरी पर है। केदारखंड वर्णित ब्रह्मकुंड, अब इसका नाम सूर्यकुंड है। इस सूर्यकुंड का तापमान लगभग 195 डिग्री फारनहाइट है, जो कि गढ़वाल के सभी तप्तकुंडों में सबसे अधिक गर्म है। इससे एक विशेष ध्वनि निकलती है, जिसे ओम ध्वनि कहा जाता है। इस स्रोत में थोड़ा गहरा स्थान है, जिसमें आलू व चावल पोटली में डालने पर पक जाते हैं।

मणिकर्ण का कुंड– हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल्लू जिले में पार्वती घाटी में ब्यास और पार्वती नदियों के मध्य बसा है मणिकर्ण। यह हिंदुओं और सिखों का धार्मिक तीर्थ स्थल है। मणिकर्ण अपने गर्म पानी के कुंडों के लिए भी प्रसिद्ध है। विशेष रूप से ऐसे पर्यटक, जो चर्म रोग या गठिया जैसे रोगों से परेशान हों, यहां आकर स्वास्थ्य सुख पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां उपलब्ध गंधकयुक्त गर्म पानी में कुछ दिन स्नान करने से ये बीमारियां ठीक हो जाती हैं। खौलते पानी के ये कुंड मणिकर्ण के सबसे अचरज भरे और विशिष्ट आकर्षण हैं।

तुलसी श्याम कुंड- तुलसी श्याम कुंड गुजरात में स्थित है। यह जूनागढ़ से 65 किमी. की दूरी पर पड़ता है। यहां पर गर्म पानी के तीन कुंड हैं। इनकी खासियत यह है कि तीनों में अलग-अलग तापमान का पानी रहता है। तुलसी श्याम कुंड के पास ही 700 साल पुराना रुकमणि देवी का मंदिर है।

अत्रि जल कुंड- ओडिशा का अत्रि उसके सल्फर युक्त गर्म पानी के कुंडों के लिए प्रसिद्ध है। यह जलकुंड भुवनेश्वर से 42 किमी. दूर स्थित है। इस कुंड के पानी का तापमान 55 डिग्री है। इस कुंड में स्नान करने से बहुत ताजगी महसूस होती है व थकान दूर हो जाती है।

बकरेश्वर जल कुंड- यह पश्चिम बंगाल का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यहां देश के कोने-कोने से लोग गर्म कुंडों में स्नान के लिए आते हैं। इन कुंडों में स्नान से कई रोग दूर हो जाते हैं।

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