घाटी पर मोदी का रुख

( नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर, हरियाणा )

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीरियों को गले लगाने की बात कहकर एक अहम संदेश दिया है। ‘कश्मीर समस्या न गाली से सुलझेगी, न गोली से, यह सुलझेगी तो केवल कश्मीरियों को गले लगाने से।’ प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान ‘कश्मीरियत, जम्हूरियत और इनसानियत के दायरे’ के भाव से पूरी तरह समानता रखता है। घाटी में विगत कुछ अरसे से अशांति व हिंसा का दौर लगातार जारी है। लिहाजा पूरा देश कश्मीर के साथ खड़ा हो, आज की यह बड़ी जरूरत है। आतंक के पोषक चंद अलगाववादियों ने ही देश भर में ऐसा माहौल बना रखा है कि घाटी में तमाम लोग आतंकियों के समर्थक हैं। अब प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में उग्रवाद व अलगाववाद के प्रति सख्ती से निपटने का इशारा करके अपना रुख साफ कर दिया है कि राष्ट्रविरोधी ताकतों को हर हाल में माकूल जवाब दिया जाएगा। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के कश्मीर मुद्दे पर बयानों से घाटी की सूरत कितनी बदलती है, यह तो वक्त ही बताएगा, फिर भी उम्मीद की एक किरण तो जगती ही है। एक और बात कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का जिक्र तक न करके उसे भी चेताया है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। अब समय आ गया है कि सीमापार से घुसपैठ रोकने के लिए तो पूरी सख्ती बरती जाए, परंतु घाटी के भीतर लोगों से संवाद करने के ईमानदारी से प्रयास करके उन्हें मुख्यधारा में भी लाया जाए।

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