जीत के लिए वीरभद्र का चुनाव लड़ना जरूरी

मंत्री-विधायकों ने हाइकमान से की सीएम को चुनावी मैदान में उतारने की मांग

धर्मशाला— मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के चुनाव न लड़ने के ऐलान  पर मचे बवाल के बीच कांग्रेस मंत्रियों व विधायकों ने हाइकमान को पत्र लिखकर सीएम को चुनाव लड़ने और अन्य नेताओं को चुनाव लड़ाने के लिए कहा है। मंत्री सुधीर शर्मा ने धर्मशाला में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि चुनाव न लड़ना वीरभद्र सिंह का व्यक्तिगत फैसला है, लेकिन उनके साथ लाखों लोग जुड़े हुए हैं, ऐसे में मुख्यमंत्री अपने समर्थकों से भी बात करेंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रदेश सरकार के सभी मंत्री-विधायक एवं अन्य नेता हाइकमान से जल्द मुलाकात भी करेंगे। वीरभद्र सिंह स्वयं तो चुनाव लड़ें  ही, अन्य लोगों को भी चुनाव लड़ाएं, तभी पार्टी फिर से सत्ता में आएगी। कांग्रेस विधायकों एवं नेताओं ने हाइकमान को मुख्यमंत्री को फ्री हैंड देने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ही एक ऐसा चेहरा हैं, जिनका प्रदेश भर में प्रभाव है। मुख्यमंत्री के चुनाव न लड़ने से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। कांग्रेस संगठन या पार्टी द्वारा चुनावों के दौरान भी कोई विशेष योजना न होने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में ब्लाकॅ स्तर पर ही योजना तैयार कर कार्यक्रम शुरू किए हैं। जिससे अपने विधानसभा क्षेत्र में पार्टी व संगठन की गतिविधियों को भी संचालित किया जा सके।

विद्या स्टोक्स ने भी की वीरभद्र सिंह की पैरवी

शिमला— आईपीएच मंत्री विद्या स्टोक्स ने  कांग्रेस हाइकमान से आग्रह किया है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा वीरभद्र सिंह ही हों और उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाए। एक बयान में उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह का हिमाचल की राजनीति में कोई भी विकल्प नहीं है। इस संबंध में उन्होंने हाइकमान को लिखा है कि वर्ष 2012 में प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान जब कांग्रेस पार्टी संकट में थी तो उन्होंने ही कांग्रेस हाइकमान को सुझाव दिया था कि वीरभद्र सिंह को चुनाव की कमान सौंपी जाए, जिसका नतीजा यह निकला कि पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार के बावजूद प्रदेश में वीरभद्र सिंह के अनुभव व परीश्रम के चलते कांग्रेस ने भारी जीत हासिल की।

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