करियर
1977 में ओडिशा हाई कोर्ट से बतौर वकील शुरुआत की थी। 1996 में ओडिशा हाई कोर्ट के जज बने। 1997 में एमपी हाई कोर्ट के जज बन और 2009 में पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। फिलहाल वह सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज हैं। जस्टिस मिश्रा मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन की फांसी की सजा पर रोक लगाने की याचिका खारिज करने वाली पीठ के अध्यक्ष रहे हैं। जस्टिस मिश्रा निर्भया गैंगरेप मामले में दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने वाली पीठ के भी अध्यक्ष रहे हैं। 28 अगस्त, 2017 को शपथ लेने के बाद देश के कानून की बागडोर दीपक मिश्रा के हाथों में आ जाएगी। देश इन दिनों जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें दीपक मिश्रा को चीफ जस्टिस का पद कई चुनौतियां लिए हुए है। पर अपनी कार्यशैली के लिए मशहूर जस्टिस मिश्रा के लिए ये चुनौतियां ही देश की कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सहायक सिद्ध होंगी।
विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !