बिलासपुर — मत्स्य आखेट से प्रतिबंध हटने के बाद पहले दिन प्रदेश के छोटे-बड़े जलाशयों में 52.8 मीट्रिक टन मछली पैदावार दर्ज की गई है। खास बात यह है कि जलस्तर कम होने के बावजूद लंबे चौड़े दायरे में फैले गोबिंदसागर में इस बार पिछले साल के मुकाबले 6.60 मीट्रिक टन अधिक पैदावार हुई है, जबकि पौंग जलाशय में पिछले साल की तुलना में इस बार 440 किलोग्राम मछली की पैदावार दर्ज की गई है। पहले दिन मंगलवार को गोबिंदसागर जलाशय में 21897.5 किलोग्राम यानी 21.9 मीट्रिक टन मछली की पैदावार हुई है, जो कि पिछले साल की तुलना में 6.60 मीट्रिक टन अधिक है। इसी प्रकार पौंग डैम में 30650 किलोग्राम यानी 30.65 मीट्रिक टन मछली की पैदावार हुई है। इस जलाशय में पिछले साल की तुलना में इस बार 440 किलोग्राम मछली की पैदावार हुई है। इसके साथ ही चमेरा डैम में पहले दिन 85 किलो मछली की पैदावार हुई है, जबकि रणजीत सागर डैम में 101 किलोग्राम मछली की पैदावार दर्ज की गई है। उधर, पहली बार कोलडैम जलाशय में 108.50 किलोग्राम मछली पकड़ी गई है। हालांकि विभाग की ओर से दो लाख से ज्यादा मछली बीज डाला गया है। इस पर विभाग का तर्क है कि सोसायटियां मछली पकड़ने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं, लेकिन यह समस्या जल्द दूर कर ली जाएगी। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में गोबिंदसागर, पौंगडैम, चमेरा, रणजीत सागर डैम के बाद अब कोलडैम को मिलाकर पांच जलाशय हो गए हैं। इस बार अवैध मछली शिकार के बेहद कम मामले सामने आए।
47 किलो की कतला फिश
गोबिंदसागर में भाखड़ा के पास नारल में कतला प्रजाति की 47 किलोग्राम भार की मछली पकड़ी गई है। हालांकि पहले दिन इतनी भारी क्षमता वाली मछली देख मछुआरे भी दंग रह गए। अगले दिनों इससे अधिक भार क्षमता वाली मछलियां देखने को मिल सकती हैं।
कोलडैम में पहली बार शिकार
गोबिंदसागर, पौंग डैम, चमेरा व रणजीत सागर डैम के बाद अब नए जलाशय के रूप में विकसित हुए कोलडैम में पहली बार मत्स्य आखेट किया गया है। मंगलवार को जलाशय में 108.50 किलोग्राम मछली की पैदावार दर्ज की गई है। हालांकि विभाग ने विभिन्न प्रजाति की मछली का दो लाख से ज्यादा बीज डाला है।
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