बचाओ-बचाओ…और खामोश हो गई आवाज

बचाओ-बचाओ…और खामोश होती गई अभागों की आवाज

मंडी— लोग बचाओ बचाओ, कोई बचा लो चिल्लाते रहे, लेकिन मजबूरी ऐसी कि मौके पर लोग पहुंचने के बाद भी किसी को बचा नहीं सके। कुछ देर तक यह दर्द भरी आवाजें लोगों व प्रशासन की टीम के कानों में गूंजती रहीं, लेकिन पहाड़ से काल बनकर लगातार मलबा गिरता रहा और कोई उस मलबे में अंधेरे के बीच उतरने की हिम्मत नहीं जुटा सका। नतीजन ये आवाजें भी सदा के लिए शांत हो गईं। इस दर्दनाक हादसे में इससे बड़ा दुखद और कुछ नहीं हो सकता कि कुछ लोगों के सहायता मांगने के बाद भी उन्हें लोग चाहकर भी नहीं बचा सके। पहाड़ गिरने से बड़ी भारी मात्रा में हुए भू-स्खलन के बाद एचआरटीसी बस एनएच मंडी-पठानकोट से डेढ़ किलोमीटर नीचे तक बह गई और मलबे में दर्जनों फुट नीचे दब गई। रात को एनएच पर प्रशासन का रेस्कयू चलता रहा और जब उजाले में रेस्कूय टीमें नीचे बस के पास पहुंचीं तो बस का कोई नामोनिशान नहीं था। बस पूरी तरह से मलबे में दबी हुई थी और कहां दबी थी, यह भी किसी को पता नहीं था। जहां से रात को आवाज आ रही थी और एक लाश भी गिरे हुए मिली थी, उसी जगह रेस्क्यू सुबह पांच बजे शुरू किया गया। आठ बजे के लगभग बस मलबे के अंदर होने के कुछ आसार दिखने लगे, लेकिन मलबा इतना भारी था कि सबके पसीने छूट रहे थे। इसके बाद मौके पर पहुंची सेना के पालमपुर मिलिट्री व एनडीआरएफ की टीम ने मौके पर पहुंचकर राहत कार्य में जोश भरा और बस में मलबे के अंदर फंसे लोगों को निकालना शुरू कर दिया।

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