बिजली बिल कम करेगा आईपीएच

पुरानी योजनाओं का आकलन शुरू, छह महीने में मिलेगी रिपोर्ट

 शिमला— पेयजल व सिंचाई योजनाओं में बिजली बिल के रूप में करोड़ों रुपए का खर्चा करने वाले आईपीएच विभाग ने अब बचत करने की सोची है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार के उपक्रम के साथ हुई बातचीत के बाद यहां अधिकारियों ने इस मामले पर विस्तृत चर्चा की है। विभाग की प्रधान सचिव ने भी इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाने के लिए कहा है, क्योंकि पुरानी योजनाओं में यदि बिजली की बचत हो जाए तो विभाग के करोड़ों रुपए बचेंगे और ये पैसा उसके दूसरे विकास कार्यों पर लग सकेगा। अभी तक हो रहे खर्च को लेकर भी विभाग से जानकारी मांगी गई है। सूत्रों के अनुसार बिजली के बिलों आदि पर ही विभाग का 300 करोड़ रुपए से अधिक का खर्चा हो जाता है। राज्य में हजारों पेयजल योजनाएं हैं, जिनके लिए पानी को लिफ्ट करना पड़ता है। इन योजनाओं में सालों पुराने उपकरण लगे हैं, जिनको बदला भी नहीं गया है। इनसे भी काफी ज्यादा चपत विभाग को लग रही है। यहां यह भी बता दें कि बिजली बोर्ड को चुकता की जाने वाली यह राशि भी समय पर नहीं मिल पाती। विभाग इसके लिए रखे गए सालाना बजट को चुकता नहीं कर पाता है और सरकार भी इस बजट को बढ़ा नहीं रही है। इसकी मांग भी विभाग द्वारा की जा चुकी है। केंद्र सरकार के उपक्रम को कुछ योजनाओं का सर्वे करने के लिए कहा गया है, जिसने आकलन करना शुरू कर दिया है। छह महीने में कंपनी अपनी रिपोर्ट आईपीएच विभाग को देगी। कंपनी देखेगी कि किस तरह के उपकरण लगाए जाने चाहिएं और किन उपकरणों से अधिक खर्चा हो रहा है। इस खर्च को कम करने के लिए फिलहाल कवायद शुरू हो गई है। इसके शुरुआती नतीजों को विभाग प्रधान सचिव को भेजेगा, जिसके बाद तय किया जाएगा कि आगे क्या करना है। विभाग की इरिगेशन के लिए भी लिफ्ट इरिगेशन स्कीमें काफी ज्यादा हैं, जिनका आकलन किया जाएगा, उनमें कुछ लिफ्ट वाटर पेयजल योजनाएं व लिफ्ट इरिगेशन योजनाएं शामिल होंगी। प्रदेश के मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शुरुआत में यह सर्वेक्षण किया जा रहा है। इसके बाद अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों की रिपोर्ट भी बनाई जाएगी। आधुनिक उपकरण लगाने से विभाग को बिजली की बचत होगी और बजट भी सुधर सकेगा।

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