बिन सूरज अंधेरे में कोर्ट कैंपस

दो साल पहले केंद्र सरकार को भेजा सोलर पावर प्रोजेक्ट खटाई में

शिमला— प्रदेश के सभी जिलों में मौजूद न्यायालय परिसरों को सूर्य की रोशनी से जगमगाने का प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया है। केंद्र सरकार के नव एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा अब तक इस परियोजना को मंजूरी नहीं मिली है, जबकि यह महत्त्वाकांक्षी परियोजना है। सभी न्यायालय परिसरों में सौर ऊर्जा से संबंधित छोटे-छोटे प्लांट स्थापित करने का प्रोजेक्ट मंत्रालय को दो साल पहले भेजा गया था। इस पर बार-बार लिखने के बावजूद मंजूरी नहीं मिली है। हालांकि ऐसे कई और भी प्रोजेक्ट हैं, जिनको मंजूरी नहीं मिल पा रही है, लेकिन यहां न्यायालय परिसरों के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी गई थीं। हिम ऊर्जा के माध्यम से बनाए गए इस प्रोजेक्ट के तहत सभी जगहों पर दो से पांच किलोवाट तक के छोटे सोलर प्लांट लगाए जाने थे, जिससे उन परिसरों में इसी बिजली का इस्तेमाल होता। यहां न्यायालय अकादमी में भी इस तरह का एक प्लांट स्थापित किया गया है, जिसे बेहतर माना जा रहा है। इसी तरह से सभी जिलों में न्यायालय परिसरों की बिजली की जरूरत भी इनसे पूरी हो सकती थी। केंद्र का नव एवं नवीकरणीय मंत्रालय बेशक सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की बात करता है और ऐसे अनगिनत प्रोजेक्ट भी उसके द्वारा बनाए गए हैं, जिसमें राज्यों को सबसिडी भी दी जा रही है, लेकिन प्रदेश के कई ऐसे प्रोजेक्ट अभी भी केंद्र में लंबित पड़े हुए हैं, जिनसे यहां ऊर्जा की बचत हो सकती है।

फिर मंत्रालय से उठाएंगे मामला

प्रदेश के कई सरकारी कार्यालयों में इस तरह से सौर ऊर्जा के छोटे-छोटे प्लांट लगाने की योजना है, जिसमें सचिवालय समेत राजभवन व विधानसभा परिसर में भी लगने हैं। इन पर काम भी किया जा रहा है, लेकिन दूसरी सरकारी इमारतों में ये प्लांट लगाने का मसला आगे नहीं बढ़ पा रहा है। इसमें केंद्र सरकार विशेष सबसिडी देती है, जिसके लिए उसकी मंजूरी भी चाहिए, जो नहीं मिल पा रही। हिम ऊर्जा एक दफा फिर से मंत्रालय से मामला उठाएगा और यहां कई किलोवाट के ऐसे लंबित प्रोजेक्टों को मंजूरी की मांग करेगा। मंजूरियां नहीं मिलने से यहां सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने का मिशन लगभग रुक चुका है।

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !