मनरेगा में आठ करोड़ भुगतान बाकी

नहीं मिली पिछले साल की दिहाड़ी, मैटीरियल का पैसा भी पेंडिंग

शिमला— मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी को लेकर बेशक केंद्र सरकार और राज्य सरकार बेहतरीन काम करने के दावे कर रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि हिमाचल में अभी पिछले साल की दिहाड़ी और मैटीरियल का पैसा चुकता नहीं हो सका है।  विधानसभा सदन में एक विधायक द्वारा पूछे गए सवाल के लिखित उत्तर में यह खुलासा हुआ है।  इसमें सामने आया है कि पिछले साल की 3.75 करोड़ रुपए की दिहाड़ी तथा 5.92 करोड़ के मैटीरियल की राशि अब तक नहीं दी जा सकी है। इतना ही नहीं, सरकार के पास मजदूरी नहीं मिलने की विभिन्न जिलों से 505 शिकायतें भी हैं।  विस्तृत आंकड़ों के मुताबिक चंबा जिला में 29.94 लाख की मजदूरी अभी तक देय है, जो कि मजदूरों को नहीं दी जा सकी है। सिरमौर जिला में 16.18 लाख, कांगड़ा जिला में 7.77 लाख, मंडी जिला में 36.71 लाख, बिलासपुर में 0.05 लाख, हमीरपुर में 2.12 लाख, किन्नौर में 47.78 लाख, कुल्लू जिला में 1.01 लाख, लाहुल-स्पीति में 67.51 लाख, शिमला में 82.44 लाख, सोलन में 7.84 लाख तथा ऊना जिला में 1.40 लाख रुपए की धनराशि मनरेगा के मजदूरों को अदा नहीं की जा सकी है।

निर्माण सामग्री के 5.92 करोड़ शेष

वर्ष 2016-17 में 5.92 करोड़ रुपए उन लोगों को नहीं दिया जा सका है, जिनसे निर्माण सामग्री ली गई। इसके तहत चंबा जिला में 152.37 लाख, सिरमौर में 18.35 लाख, कांगड़ा में 36.18 लाख, मंडी में 2.97 लाख, बिलासपुर जिला में 2.03 लाख, हमीरपुर जिला में 11.54 लाख, किन्नौर में 39.85 लाख, कुल्लू में 1.89 लाख, लाहुल-स्पीति में 0.87 लाख, शिमला में 22.90 लाख, सोलन में 8.72 लाख तथा ऊना जिला में 6.25 लाख रुपए की राशि  दी जानी शेष है।

केंद्र सरकार देती है पैसा

केंद्र मनरेगा की दिहाड़ी को अब सीधे मजदूरों के खाते में डालता है। पहले प्रदेश सरकार के माध्यम से ये राशि दी जाती थी। बकाया राशि का भुगतान भी केंद्र व राज्य सरकार दोनों ने करना है, क्योंकि इसमें दोनों की हिस्सेदारी है।

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