कुछ इस तरह है कहानी
फिल्म की मार्मिक पटकथा के अनुसार एक दंपति की दोनों संतानें बेटियां हैं। पुत्र की चाह के लिए बहू को सास के ताने भी सुनने पड़ते हैं। इसी कड़ी में उनके घर में तीसरी पुत्री जन्म लेती है। तीसरी बेटी को एक बेऔलाद दंपति गोद ले लेता है। वह अच्छी शिक्षा पाकर डाक्टर बन जाती है। जब पहले दंपति की मां (सास) बहुत बीमार पड़ जाती है तो गोद ली हुई डाक्टर लड़की ही उस ताने मारने वाली बुजुर्ग महिला का इलाज करती है। इस फिल्म के पीछे यही संदेश है कि बेटियां आजकल किसी से कम नहीं हैं। सही शिक्षा-दीक्षा पाकर बेटियां मां-बाप व समाज का नाम रोशन कर सकती हैं।
रिटायरमेंट के बाद बड़े पर्दे पर आजमाएंगे भाग्य
सोलन रेलवे स्टेशन अधीक्षक दिनेश शर्मा जब शिमला में थे तो बालीवुड की कई हिट फिल्मों की शूटिंग वहां होती थी। मुंबई के प्रोड्यूसर शूटिंग के लिए स्टीम इंजन व अन्य छोटी रेलकारों को विभाग से किराए पर लेते थे। जब वी मैट, ऑल इज वेल, सनम रे, शिमला मिर्च जैसी कई बालीवुड फिल्मों की शूटिंग के लिए दिनेश शर्मा की मुंबई से आई टीमों के साथ विभाग की ओर से ड्यूटी लगाई जाती थी। बस इन शूटिंग को देखते-देखते उन्हें भी फिल्मों का डायरेक्शन का शौक पैदा हो गया। दिनेश शर्मा का कहना है कि उनके इस शौक में उनकी पत्नी अर्चना, पुत्र मोहित व पुत्री यामिनी का पूरा साथ है। वह कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद वह बडे़ पर्दे पर भी अपना भाग्य आजमाएंगे। दिनेश शर्मा का कहना है उन्हें यकीन है कि एक दिन वह बालीवुड में फिल्मों का निर्देशन कर प्रदेश का नाम रोशन करेंगे।
राज्यपाल कर चुके हैं सम्मानित
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