सिर्फ चार प्रतिशत डीए देकर छले कर्मचारी

अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ को पसंद नहीं आया सरकार का तोहफा

मंडी —  हिमाचल सरकार ने अपने कर्मचारियों को चार प्रतिशत डीए देने की घोषणा 15 अगस्त को रामपुर से की, लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों को यह घोषणा रास नहीं आई। हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय महामंत्री एनआर ठाकुर ने कहा कि 16 प्रतिशत डीए की जगह केवल 4 प्रतिशत डीए देने का फैसला किसी भी कर्मचारी के गले नहीं उतर रहा है। उन्होंने कहा कि जो फार्मूला आज हिमाचल में डीए देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, वह देश के किसी भी राज्य में लागू नहीं है। इससे लगता है कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वित्त विभाग के अधिकारियों द्वारा गुमराह किए जा रहे हैं। इसके चलते भविष्य में प्रदेश के कर्मचारियों को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में वेतनमान संशोधित हो चुके हैं, वहां डीए दो प्रतिशत की तर्ज पर दिया गया है, लेकिन जहां अभी वेतनमान संशोधित नहीं हुए हैं। वहां डीए सात प्रतिशत की तर्ज पर मिल रहा है। पंजाब और हिमाचल में अभी वेतनमान संशोधित नहीं हुए हैं, इस लिए यहां भी सात प्रतिशत के हिसाब से ही डीए बनता है। जुलाई, 2016 से दो प्रतिशत बकाया तथा जनवरी, 2017 से सात प्रतिशत और उसी की तर्ज पर जुलाई, 2017 से भी सात प्रतिशत डीए के हिसाब से कुल 16 प्रतिशत बनता है, लेकिन महज चार प्रतिशत की घोषणा कर मुख्यमंत्री ने प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को छलने का काम किया है। 15 अगस्त के दिन यह उम्मीद थी कि कांग्रेस सरकार अपने चुनावी वादे के अनुसार 4-9-14 का लाभ अक्तू बर, 2006 से देने की घोषणा करेगी, लेकिन यहां भी कर्मचारियों से धोखा ही हुआ। श्री ठाकुर ने कहा कि पांच वर्षों में कांग्रेस का कार्यकाल प्रदेश के कर्मचारियों व मजदूरों के लिए शून्य साबित हुआ है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि डीए की किस्त सरकार टुकड़ों में न देकर जो अब 12 प्रतिशत बकाया रहती है उसकी घोषणा अविलंब करे तथा अपने वायदे के अनुसार 4-9-14 का लाभ भी कर्मचारियों को दे। उन्होंने हिमाचल व पंजाब सरकार से सातवें वेतनमान की रिपोर्ट को ही लागू करने का आग्रह किया।

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