सेप्टिक टैंकों से भूमि के भीतर फैलता प्रदूषण

खेतों में डाली जाने वाली रासायनिक खादें, कीटनाशक दवाइयां, खनिज पदार्थों का दोहन, कारखानों से निकली घातक रासायनिक तरल गंदगी, गांवों और शहरों का कचरा आदि जल स्रोतों को प्रदूषित कर रहे हैं। भूमिगत सेप्टिक टैंकों तथा रासायनिक पदार्थों से भूमि के भीतर प्रदूषण फैल रहा है…

स्रोतों का उपयोग : पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों का अंधाधुंध दोहन है। यदि इस पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई, तो भारी संकट उत्पन्न हो सकता है।

मोटर वाहनों की बढ़ती संख्या : पिछले कई वर्षों में उद्योगों के साथ-साथ मोटर वाहनों की संख्या तीव्र गति से बढ़ी है। जिसके परिणामस्वरूप वायु एवं ध्वनि प्रदूषण दोनों ने विकराल रूप धारण कर लिया है। हिमाचल प्रदेश में मोटर वाहनों की बिक्री तीव्र गति से बढ़ रही है।

अन्य कारण : बढ़ते पर्यावरण के उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त वायु मंडल में गैसों का बढ़ना, घटते संसाधनों पर दबाव, तटवर्ती क्षरण के खतरे, ऊर्जा की खपत आदि अन्य कारण हैं, जिनके प्रभाव से पर्यावरण प्रदूषित होता है। खेतों में डाली जाने वाली रासायनिक खादें, कीटनाशक दवाइयां, खनिज पदार्थों का दोहन, कारखानों से निकली घातक रासायनिक तरल गंदगी, गांवों और शहरों का कचरा आदि जल स्रोतों को प्रदूषित कर रहे हैं। भूमिगत सेप्टिक टैंकों तथा रासायनिक पदार्थों से भूमि के भीतर प्रदूषण फैल रहा है।

मनाली में पर्यावरण की समस्या : मनाली में पर्यावरण की समस्या से जूझने के लिए कोई भी विकल्प नहीं दे रहा है। एक ताजा सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है कि जीव अनाक्षित कूड़ा गलता-सड़ता नहीं है। इससे निकले रसायन के कारण पेड़-पौधे तथा वनस्पति तक सूख जाते हैं तथा यह कचरा बीमारियों को खुला आमंत्रण देता है। ऐसा कूड़ा पर्यटन नगरी मनाली में बढ़ता ही जा रहा था। इसी को देखते हुए नार्वे सरकार ने कूड़ा निष्पादन की 1.5 करोड़ रुपए की एक योजना बनाई। एक सर्वेक्षण में मनाली को प्रतिदिन होने वाले कूड़े का आकलन करने के लिए सात हिस्सों में बांटा गया। इसमें मनाली शहर क्षेत्र, अलेऊ, रांगड़ी, प्रीणी, वशिष्ट, क्लब हाउस क्षेत्र और नग्गर व सोलंग हैं। सर्वेक्षण के दौरान पाया गया कि इन तमाम इलाकों में कुल 1416 केएलडी मल निकासी प्रतिदिन हो रही है तथा 4.94 टीपीटी नष्ट न होने वाला कचरा प्रतिदिन उत्पन्न हो रहा है, जो कि अपने गंभीर परिणामों के बारे में स्वतः संकेत दे रहा है। मनाली बाजार में इस वक्त सैकड़ों होटल हैं। इनमें प्रतिदिन लगभग 774 केएलडी मल निकासी व 2.7 टीपीडी नष्ट न होने वाला कूड़ा उत्पन्न हो रहा है। इस प्रकार अलेऊ क्षेत्र में भी कई होटल हैं, जो प्रतिदिन 157 केएलडी मल एवं 0.55 टीपीडी अनाक्षित गिरा रहे हैं।

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