अनुबंध कर्मचारियों की सुने सरकार

अनुबंध-नियमित अध्यापक संघर्ष मोर्चा ने उठाई आवाज

शिमला —  हिमाचल प्रदेश सरकार समय-समय पर अनुबंध आधार पर नियुक्तियां करती रही है। नियमित के स्थान पर अनुबंध आधार पर नियुक्तियों के पीछे सरकार अपनी कमजोर वित्तीय स्थिति को कारण बताती रही है। सरकार ने कमीशन और बैचवाइज दोनों प्रकार से अनुबंध पर हजारों नियुक्तियां की हैं और वही चयन प्रक्रिया व भर्ती नियम अपनाए, जो नियमित आधार पर की जाने वाली भर्तियों के लिए निर्धारित हैं। हिमाचल अनुबंध-नियमित अध्यापक संघर्ष मोर्चा के राज्य अध्यक्ष चंद्रकात ठाकुर, महासचिव सचिव नरेश पटियाल, संयोजक कैलाश नाथ शर्मा, उपाध्यक्ष मीनाक्षी हांडा, मीडिया प्रभारी चरणजीत सिंह ने एक संयुक्त बयान में कहा कि लोक निर्माण विभाग में अनुबंध कार्यकाल को जोड़कर सीनियोरिटी देने का फरमान सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है और उसी आधार पर दूसरे विभागों में भी यह लाभ अनुबंध कर्मचारियों को दिया जाना चाहिए। अनुबंध पर नियमित के लगभग आधा वेतन दिया जाता है और इस तरह सरकार एक नियमित पद के स्थान पर उसी धनराशि से अनुबंध पर दो पद भर देती है। वर्तमान सरकार ने अपने वर्तमान कार्यकाल में अनुबंध से नियमित करने की समयावधि को छह, पांच और तीन वर्ष अलग-अलग रख कर अनुबंध सेवाकाल पर नियमित कर अनुबंध कर्मचारियों व अधिकारियों से भेदभाव पूर्ण रवैया जाहिर किया है। हिमाचल अनुबंध नियमित अध्यापक संघर्ष मोर्चा ने सरकार द्वारा अनुबंध से नियमित होने की समय अवधि पांच वर्ष से कम कर तीन वर्ष करने का स्वागत किया है, परंतु इस लाभ को वर्तमान सरकार को अपने कार्यकाल में हजारों अनुबंध से नियमित सभी कर्मचारियों व अधिकारियों पर लागू करने की मांग की है। साथ ही अनुबंध से नियमित सभी कर्मचारियों व अधिकारियों को उनके अनुबंध सेवाकाल का पद वरिष्ठता लाभ देने की मांग भी की है जिसके आदेश लोक निर्माण विभाग में सुप्रीम कोर्ट ने करने को कहा है