अब निकाह के समय ही तीन तलाक को न

भोपाल— सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक को असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दिए जाने के बाद आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अहम फैसला किया है। बोर्ड ने तय किया है कि अब निकाह के समय ही काजियों और धर्मगुरुओं के माध्यम से वर और वधू पक्ष के बीच यह सहमति बन जाएगी कि रिश्ते को खत्म करने के लिए किसी भी सूरत में तलाक-ए-बिद्दत (एक बार में तीन तलाक) का सहारा नहीं लिया जाएगा। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बोर्ड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस मसले पर सहमति बनी। इसमें बोर्ड ने साफ किया कि वह न्यायालय के फैसले का सम्मान करता है और तीन तलाक के खिलाफ और शरीयत को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए अभियान शुरू करेगा। इसे लेकर बोर्ड ने एक समिति के गठन का भी फैसला किया है। साथ ही बोर्ड लोगों को तलाक पर संवेदनशील होने पर भी जोर देगा। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बेहतर होगा कि निकाह के समय ही लड़का और लड़की के परिवारों में यह सहमति बन जाए कि अगर रिश्ते खत्म करने की कोई स्थिति पैदा होती है तो इसके लिए तलाक-ए-बिद्दत का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। बोर्ड का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के इस तरीके को गैरकानूनी करार दिया है, ऐसे में यह तलाक अब मान्य नहीं होगा। बेहतर होगा कि लोग इस तलाक पर अमल नहीं करें। इसमें काजियों और धर्मगुरुओं की भी मदद ली जाएगी। सुन्नी मुसलमानों के हनफी पंथ में तलाक-ए-बिद्दत की प्रथा रही है। बोर्ड का शुरू से यह मत रहा है कि तलाक-ए-बिद्दत तलाक का बेहतर तरीका नहीं है। उसने कई बार लोगों से तलाक के इस तरीके पर अमल नहीं करने की अपील की थी। बोर्ड का कहना है कि न्यायालय के फैसले के बाद लोगों की सोच बदलनी जरूरी है। बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी ने कहा कि इस अभियान के लिए अगले कुछ दिनों में तैयारियां शुरू हो जाएंगी। यह पूछे जाने पर कि सरकार की ओर से कानून बनाने की स्थिति में बोर्ड का क्या रुख होगा तो फारुकी ने कहा कि अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। ऐसी स्थिति आने पर फैसला किया जाएगा।