पगडंडियों से नाप रहे घर की राह
मलाणा गांव की दशा अब यह है कि गांव के लोगों को रोजमर्रा का सामान कंधों और पीठ के सहारे ढोना पड़ता है। हालांकि गांव के लिए रज्जु मार्ग भी लगाया गया है, लेकिन लोगों की मानें तो वे ज्यादातर सामान को पीठ पर ही पगडंडियों से गांव तक पहुंचाते हैं। जब गांव में कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे भी पीठ पर उठाकर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है। कई बार सड़क तक पीठ और कुर्सी के सहारे पहुंचाए जा रहे मरीज रास्ते में ही दम तोड़ जाते हैं। हालांकि मलाणा की समस्या दूर करने के लिए सरकार और सरकार के हुकमरान बडे़-बड़े दावे किए करते हैं, लेकिन धरातल पर दावे कभी भी उतरते ही नहीं है।
पांच साल में डेढ़ किलोमीटर सड़क
गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए बाकायदा बजट का प्रावधान किया गया है। करीब चार साल पहले सड़क का निर्माण कार्य भी आरंभ कर दिया था, लेकिन इतना अरसा बीत जाने के बाद भी सड़क महज डेढ़ किलोमीटर तक ही बन पाई है। यह सड़क बस और अन्य बडे़ वाहनों की आवाजाही के लिए होगी, पर जिस गति से इसका कार्य चल रहा है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि इसे बनने में अभी चार-पांच साल और लग जाएंगे।
जीप योग्य रोड की भी है योजना
मुख्य सड़क निर्माण में हो रही देरी के कारण सरकारी हुकमरानों ने गांव को जीप योग्य सड़क सुविधा से जोड़ने की भी योजना बनाई। जीप योग्य रोड करीब दो किलोमीटर का होगा। इसके निर्माण के लिए 25 अप्रैल, 2016 को लाडा से 95 लाख रुपए का भी प्रावधान किया गया, लेकिन हैरान की बात है कि इसका निर्माण अभी तक शुरू नहीं हो पाया। ऐसे में मलाणा गांव के लोगों का गुस्सा लगातार फूटता जा रहा है।