ऊना जिला से उद्योग मंत्री और अंब में औद्योगिक इकाइयों की दुर्गति

गगरेट— रोजगार के साधन उत्पन्न करने का सरल साधन है कि ज्यादा से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां स्थापित हों। औद्योगिक विकास महज रोजगार के अवसर ही पैदा नहीं करता, बल्कि उस क्षेत्र के विकास में भी सहायक सिद्ध होता है, लेकिन इसे उपमंडल अंब का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि प्रदेश सरकार में उद्योग मंत्री जिला ऊना का होने के बावजूद प्रदेश सरकार के इस कार्यकाल में इस क्षेत्र में नई औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहन नहीं मिल पाया है।  हैरत की बात यह है कि पूर्व प्रदेश सरकार के कार्यकाल में इस क्षेत्र के लिए स्वीकृत इंडियन ऑयल का डिपो भी यहां से छिटक कर ऊना चला गया। ऐसे में उपमंडल अंब के औद्योगिक विकास में ब्रेक सी लग कर रह गई है। वर्ष 2003 में प्रदेश में कांग्रेस सरकार सत्तासीन होने के बाद पहली बार उपमंडल अंब में औद्योगिक क्षेत्र विकसित हुए थे और उस समय यहां कई औद्योगिक इकाइयां भी स्थापित हुईं। इन औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के बाद न सिर्फ क्षेत्र के हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से भी कई लोगों को रोजगार मिला। हालांकि पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी औद्योगिक विकास को लेकर इस क्षेत्र से भेदभाव हुआ और प्रदेश में कांगे्रस की सरकार सत्तासीन होने के बाद इसी जिले को उद्योग मंत्री का तमगा मिलने के बाद जनता में आस प्रबल हुई थी कि इस क्षेत्र में भी औद्योगिक विकास की गाड़ी रफ्तार पकड़ेगी, लेकिन प्रदेश सरकार से इस कार्यकाल में उपमंडल अंब औद्योगिक विकास से वंचित रहा। हैरत की बात यह है कि इससे पहले यहां स्थापित कई औद्योगिक इकाइयों में भी ताले लटक गए, लेकिन नए उद्योगों की स्थापना न होने के कारण रोजगार के अवसर भी बंद हो गए। जनता को आस थी कि इस क्षेत्र के लिए मंजूर इंडियन ऑयल डिपो क्षेत्र को खुशहाल करेगा, लेकिन डिपो को लेकर ऐसी राजनीति हुई कि प्रदेश सरकार ने इसे भी यहां से ऊना के रामपुर में स्थानांतरित कर दिया। औद्योगिक विकास न होने के कारण अब यहां के युवाओं को रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। उधर, भाजपा मंडल गगरेट के अध्यक्ष पंडित राम मूर्ति शर्मा का कहना है कि जिस प्रदेश में उद्योगपतियों का शोषण हो, भला उस प्रदेश में उद्योगपति निवेश के लिए आगे क्यों आएं। सबने देखा है कि उद्योग विभाग का एक आला अधिकारी किस तरह रिश्वत लेते पकड़ा गया।

उपमंडल में 200 के करीब उद्योग

उपमंडल अंब में मौजूदा समय में दो सौ के करीब उद्योग हैं, जिनमें करीब पंद्रह हजार लोग कार्यरत हैं। हालांकि अगर प्रदेश सरकार से इस कार्यकाल में यहां नए उद्योग स्थापित हो पाते तो यहां रोजगार के साधन और सृजित होते। प्रदेश सरकार के इस कार्यकाल में इस क्षेत्र में चार उद्योगों पर ताला लटक गया है। इससे करीब 300 परिवारों को रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। अगर यहां उद्योगों की तरफ ध्यान न दिया गया तो मुश्किल और बढ़ जाएंगी।

कारगर नीति न होने से नहीं आ रहे नए उद्योग

उपमंडल औद्योगिक संघ के महासचिव सुरेश शर्मा का कहना है कि प्रदेश में उद्योगों के लिए कारगर नीति न होने के कारण भी नए उद्योग यहां नहीं आ पाए हैं। उद्योगों के लिए उद्योग मित्र वातावरण होना चाहिए, ताकि यहां आने वाले उद्योग फल-फूल सकें। प्रदेश सरकार अगर नए उद्योगों को लाने के लिए कारगर नीति बनाती तो इसका लाभ प्रदेश को भी मिलता और रोजगार के अवसर भी सृजित होते, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। यही वजह है कि अब अंब औद्योगिक विकास को तरस रहा है। सरकार यहां निवेश बढ़ाना होगा, ताकि क्षेत्र फल-फूल सके।