एनपीएस कर्मियों ने मांगी पुरानी पेंशन

कैबिनेट में फैसला नहीं हुआ तो चुनाव में होगा कांग्रेस का विरोध

शिमला— न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के दायरे में आने वाले कर्मचारी सरकार से लगातार अपने लिए पुरानी पेंशन स्कीम बहाली की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस ओर कोई गंभीरता नहीं दिखा रही है। लगातार पांच साल से इसकी मांग करने वाले कर्मचारियों के संगठन ने एक दफा फिर से मांग उठाई है कि इस कैबिनेट बैठक में उनके मामले को मंजूरी दी जाए। एनपीएस  कर्मचारी महासंघ ने  सरकार को चेतावनी दी है कि लगभग 80 हजार कर्मचारियों के हक में पुरानी पेंशन नीति बहाल नहीं की जाती है तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का विरोध किया जाएगा और उस दल का समर्थन किया जाएगा जो उनकी मांग को पूरा करने का वादा करेगा। शनिवार को यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए महासंघ के राज्य संगठन सचिव कुशाल शर्मा ने कहा कि वर्ष 2003 के बाद सरकारी विभागों में नियुक्त हुए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है। इसके साथ ही सरकार ने ऐसे कर्मचारियों के ऊपर न्यू पेंशन सिस्टम को जबरन थोप दिया है, जबकि कई राज्यों मे इन कर्मचारियों को पुराना लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नेशनल पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों के मूल वेतन का 10 फीसदी हिस्सा सीपीएफ के रूप में काटा जाता है और इतना ही हिस्सा सरकार द्वारा इसमें डाल दिया जाता है, जिससे सेवानिवृत्ति तक कुल जमा पूंजी का 60 फीसदी हिस्सा टैक्स काटने के पश्चात कर्मचारियों को लौटाया जाएगा, जबकि शेष 40 फीसदी हिस्से के लिए कर्मचारियों से विकल्प मांगे जाते हैं कि वह इस पूंजी को पेंशन के रूप में लेना चाहता है या फिर एक साथ। इस तरह पेंशन के नाम से कर्मचारियों से षड्यंत्र किया गया है।  इस अवसर पर कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति के सचिव राम लाल और कोषाध्यक्ष महेंद्र महंत ने भी जीएसटी की तर्ज पर देश में एक समान पेंशन नीति बनाने की वकालत की।

सरकार को नहीं पड़ेगा घाटा

महासंघ ने कहा कि जब पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा सरकार अपने सभी नियमित कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ दे रही है तो हिमाचल सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती, जबकि यह राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन नीति बहाल करने से सरकार को कोई घाटा नहीं उठाना पड़ेगा। इसके लागू होने से भारी पूंजी सरकार के खाते में जमा होगी।