…ऐसे तो डगमगाएगी भावी शिक्षकों की नींव

धर्मशाला— पहाड़ के नौनिहालों की शैक्षणिक नींव मजबूत करने वाले जेबीटी शिक्षकों की पढ़ाई का नाम बदलकर डीईएलईडी तो कर दिया गया है, पर व्यवस्था में खामियां परेशानी का सबब बन गई हैं। हालात यह हैं कि भविष्य के शिक्षक अपनी पढ़ाई के दौरान बुरी तरह से उलझ कर रह गए हैं। अब सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं। एक बैच पासआउट होने के बाद दूसरा शुरू करने के बजाय सरकार ने एक बैच के पूरा होने से पहले ही दूसरा शुरू कर दिया। इतना ही नहीं अब तीसरे बैच को शुरू करने को भी तैयारी हो गई है। अक्तूबर तक यह बैच शुरू हो जाता है तो प्रदेश के डाइट शिक्षण संस्थानों में भविष्य के शिक्षकों को प्रशिक्षण लेने के लिए कक्षाएं लगाने और पढ़ाने के लिए शिक्षकों की व्यवस्था करना भी कठिन हो सकता है। डीईएलईडी कर प्रदेश के भविष्य को शिक्षा देने वाले प्रशिक्षु अध्यापकों की शैक्षणिक व्यवस्था का ढांचा पटरी से बाहर जाने लगा है। मौजूदा समय में चल रही कक्षाओं की हालत देखें तो एक बैच की पढ़ाई पूरी होने से पहले ही दूसरा बैच भी शुरू हो गया। इसी बीच नया सिलेबस शुरू करने का भी फरमान जारी हो गया, बीच में फिर सिलेबस बदलने की बात हुई। पहले ही साल छात्र उलझ गए, फिर परीक्षा के समय उन्हें पुराने सिलेबस से परीक्षा देने को कह दिया। अब तीसरे बैच की प्रक्रिया शुरू कर उसकी भी काउंसिलिंग शुरू होने जा रही है, जबकि पूर्व में एक बैच पूरा होने के बाद ही दूसरा बैच शुरू किया जाता था। बाकायदा पूरे शैक्षणिक सत्र का ध्यान रखा जाता था।

आखिर ये सब हो क्या रहा है

अब अचानक बीच में ही सत्र शुरू किए जाने के तर्क से पढ़ने और पढ़ाने वाले भी हैरत में हैं। जल्दबाजी में नए शैक्षणिक सत्र शुरू करने की वजह भी समझ नहीं आ रही है। सत्र पूरा करने वाले प्रशिक्षण प्राप्त लोगों को तुरंत प्रभाव से स्कूलों में ज्वाइनिंग देने की भी सरकार की कोई योजना नहीं है। ऐसे में यह अव्यवस्था किसके लिए खड़ी की जा रही है। इस बात को लेकर शिक्षाविद व बुद्विजीवी वर्ग सरकारी अमले पर सवाल खडे़ कर रहे हैं कि आखिर यह सब क्या हो रहा है।