और शरणार्थी नहीं

(किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर )

पिछले पचास वर्षों से भारत तिब्बती शरणार्थियों को पनाह दिए हुए है। अब अवैध रूप से भारत में घुसने वाले रोहिंग्या का भार भी संयुक्त राष्ट्र संघ भारत पर लादने की फिराक में है। भारत भूमि शुरू से ही विपदा में फंसे लोगों के लिए पनाहगाह रही है। किसी संकट में फंसे समुदाय या व्यक्ति की मदद के लिए आगे आना भारत के संस्कारों में रहा है। इसका यह अर्थ नहीं कि जिसको जब चाहे अवैध रूप से भारत में धकेल दिया जाए। भारत की आज अपनी कई समस्याएं हैं। करीब 130 करोड़ की आबादी वाले देश के नागरिकों की अपनी भी जरूरते हैं। सीमित संसाधनों के कारण यहां हर किसी को बसाने की अपनी कुछ सीमाएं हैं। ऐसे में मानवाधिकारों का हम विरोध नहीं करते, लेकिन जबरन किसी को भी अवैध रूप से भारत में न बसाया जाए।