गोसदन तक नहीं बना पाई सरकार

‘‘उम्मीदों की नींव पर ही सही, इक पुल चाहिए। गांव-शहर से जुड़ें, डग भरने का हमें भी हक चाहिए।’’मगर विडंबना यही रही कि लगातार उम्मीदों के कई पुल ढह गए और कई सोचे भी न जा सके। भौगोलिक परिस्थितियां सियासत के दृष्टिकोण पर इतनी भारी पड़ेंगी यही सोच कर भाषणबाजों पर तरस आता है। जब पता चलता है कि फलां भवन का नींव पत्थर 1980 में रखा गया या फिर 15 बर्ष से उद्घाटन को तरस रही सड़क। या फिर शहीद अथवा स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर घोषणाएं। ये तमाम बातें कुछ समय बाद जनता को सुविधा नहीं मिलने पर एक टीस जरूर दे जाती है। जनता को मतदाता समझने वाले राजनेताओं को पांच वर्ष बाद याद आती है, तब तक लोग ऊब चुके होते हैं और फिर अपने हकों की आवाज उठाते हैं। लोगों के इसी दर्द का हिस्सा बनने के लिए प्रदेश के अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ अपनी नई सीरीज ‘हक से कहो’ के तहत जनता की आवाज बनकर आगे आ रहा है।

विकास में पिछड़ गया जवाली

जवाली के मोहन लाल शर्मा ने कहा कि कोटला को उपतहसील तो दी गई।  लेकिन आज तक शिलान्यास के बाद भवन का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

* जवाली में राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को खुले काफी समय हो चुका है, लेकिन आज तक दो ही ट्रेड से कार्य चलाया जा रहा था। अब हाल ही में जीएस बाली ने फिटर ट्रेड शुरू करवाकर तीन ट्रेड करवा दिए, परंतु इसमें सात ट्रेड चलाने की घोषणा हुई थी।

* बच्चों को खेलने के लिए मिनी सचिवालय  के समीप फुटबाल स्टेडियम बनाने की करीब डेढ़ साल पहले घोषणा की गई, परंतु आज तक इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

* स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर भी जवाली काफी पिछड़ कर रह गया है। नगरोटा सूरियां में डिग्री कालेज खोला,  परंतु आज तक भवन की दरकार है। हर तरफ मात्र नींव पत्थर ही दिखाई देते हैं, जबकि उससे आगे कार्य नहीं दिखता है।

जनता की नहीं ली कोई सुध

पलोहड़ा के डा. राजिंद्र सिंह ने कहा कि सरकारों द्वारा मात्र वोट की ही राजनीति की गई है, जबकि वोट लेने के उपरांत जनता की कोई सुध नहीं ली गई है। आज भी लोग सुविधाओं को तरस रहे हैं।

* विस क्षेत्र जवाली के अंतर्गत आने वाली 48 पंचायतों के किसान आवारा पशुओं, उत्पाती बंदरों व जंगली सूअरों से काफी आहत हैं। सरकारें सत्तासीन होने के लिए किसानों को आवारा पशुओं व उत्पाती बंदरों से निजात दिलाने का प्रलोभन देती हैं, परंतु सत्तासीन होने उपरांत किसानों की सुध लेना भूल जाती हैं।

* जवाली को नगर पंचायत का दर्जा दिलवाया गया, परंतु नगर पंचायत के हिसाब से विकास करवाने को तरजीह नहीं दी गई है।

* आज तक पौंग झील में मोटर बोट तक नहीं चलवाई जा सकी हैं, ताकि उनके माध्यम से पर्यटक पौंग झील का नजारा देख सकें।

* जवाली के बिजली बोर्ड, लोक निर्माण विभाग व आईपीएच विभाग में खाली पड़े पदों को भरा नहीं जा सका है। इससे विकास के दावे कोसों दूर रह जाते हैं।

…सिर्फ वोट की हो रही राजनीति

हरसर के पंडित विपिन शर्मा का कहना है कि जवाली में जितना विकास होना चाहिए था वो आज तक नहीं हो पाया है। मात्र वोटों की खातिर चुनावों में सब्जबाग दिखाए जाते हैं और जीत के उपरांत जनता की सुध नहीं ली जाती है।

* 1967 के उपरांत से आज तक प्रदेश में कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों की सरकारें सत्तासीन हुईं और विस क्षेत्र जवाली में कांग्रेस व भाजपा के विधायकों ने प्रतिनिधित्व किया। इसके बावजूद भी पौंग किनारे बसे विस क्षेत्र को न तो पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया गया और न ही जवाली में पार्किंग स्थल  उपलबध करवा पाईं।

* हरसर डिस्पेंसरी को 10 बिस्तरीय राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का दर्जा दे दिया गया है, लेकिन आज तक इसमें दर्जे के हिसाब से पोस्टों की क्रिएशन नहीं हो पाई है । हरसर पंचायत में कई गांवों को आज भी पक्की सड़क सुविधा नसीब नहीं हैं। पीने के पानी के लिए भी लोगों को तरसना पड़ता है।

* सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जवाली को सिविल अस्पताल का दर्जा दिलवा दिया गया, लेकिन आजतक आज तक इसमें महिला रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ व एमडी की नियुक्ति नहीं हो पाई है।